अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

स्मृतिकरण

काग़ज़ नहीं था
क़लम नहीं थी
स्याही नहीं थी
लिपि भी नहीं थी
तब भी जारी था 
मनुष्य का चिंतन
और उत्पन्न विद्या का
मस्तिष्क में ही होता था संरक्षण
कठिन अभ्यास
रट-रट स्मरण
गुरु से शिष्य
शिष्य से पुनः शिष्य
और मस्तिष्क से 
मस्तिष्क में स्थानांतरण
अनायास ही
मनुष्यों ने उँगलियों से
धरती पर अंकित किये होंगे
अपनी स्मृति के लिए
कोई स्मृति चिह्न
और सफल रहने पर
दूसरे दिन फिर कोई
दूसरा स्मृति चिन्ह
और शुरू हो गया होगा
स्मृतियों को रेखा चिह्नों में
सँजोने का सिलसिला
फिर चिह्नों से संकेतक चित्र
चित्र से  लिपि
लिपि से वर्ण
वर्ण से शब्द
शब्द से वाक्य 
और वाक्यों से अभिव्यक्ति
यानि भावों ध्वनियों का 
लिपि में रुपांतरण
विचारों का लिप्यंतरण
स्मृतियों का लिपि में संरक्षण 
स्मृतिकरण
 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सम्पादकीय प्रतिक्रिया

कहानी

सांस्कृतिक आलेख

कविता

किशोर साहित्य कविता

हास्य-व्यंग्य कविता

दोहे

बाल साहित्य कविता

नज़्म

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं