साहित्यहीन हिन्दी
काव्य साहित्य | कविता राजनन्दन सिंह1 Apr 2021 (अंक: 178, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
हमारा हिन्दी सिनेमा
हम पूर्वी हिन्दी भाषियों को
नौकर दरबान रसोईया
पानवाला दूधवाला
चायवाला खोमचावाला
और कभी-कभी
राजनीति का छोटा-मोटा
बदमाश दिखाता है
हमारी धरती के गौतम महावीर
पाणिनी चाणक्य मौर्य गुरुगोविन्द
भगवान बिरसा वीर कुँवर
बाबू राजेन्द्र वशिष्ठ नारायण
और प्रतिवर्ष संघ लोक सेवा आयोग में
हमारी सफलता का प्रतिशत
नज़रअंदाज़ करता है
छुपाता है
हमारी सादगी में हमें पता नहीं चलता
मनोरंजन के नाम पर
यह साहित्यहीन फ़िल्मी हिन्दी
हमारे लिए कितनी घाती है
हमें और हमारी पूर्वी हिन्दी को
कितना नुक़सान पहुँचाता है
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