बिल्ली को देखकर
काव्य साहित्य | कविता राजनन्दन सिंह15 Oct 2021 (अंक: 191, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
व्यस्त सड़क चौराहों पर
दुर्घटना संभावित
लाल बत्ती की परवाह न करने वाले
वाहन चलाते
हमारे बहुधा भारतवीर
गली कुचे मुहल्लों में
सड़क पार करती
बिल्ली को देखकर
अक्सर ठिठक जाते हैं
असंभावित दुर्घटना के भय से
रुक जाते हैं
इधर-उधर एक ढेला ढूँढ़ते हैं
और उसे लुढ़काकर
बिल्ली के काटे हुए रास्ते
पहले उस ढेले से लँघवाते हैं
फिर आगे बढ़ते हैं
मानो उड़ जाते हैं
मुख्य सड़क पर जाकर
पुनः संभावित दुर्घटना की लाल बत्ती
परवाह नहीं करते
ट्रैफ़िक हवलदार को
या तो धमका देते हैं
या बुदबुदाकर उसके कान में
कुछ समझा देते हैं
बात बनी तो ठीक
वरना सौ रुपये का नोट पकड़ा देते हैं
उन्हें मंज़ूर है स्टील की रॅाड
भले ही टाँगों में पड़ जाए
पर लालबत्ती पर दो मिनट
इंतज़ार नहीं करते
बेधड़क पार करते हैं
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