जाने क्यों
काव्य साहित्य | कविता सतीश ‘बब्बा’15 Apr 2023 (अंक: 227, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
जाने क्यों,
इतना निर्दयी,
है हाकिम यह,
नहीं जानता,
दर्द किसी का!
जाने क्यों,
जाने वाले,
जाकर, फिर,
नहीं आते!
जाने क्यों,
अच्छे लोग ही,
जल्दी,
बुलाए जाते हैं!
जाने क्यों,
बुरे लोगों को,
जल्दी नहीं,
बुलाते हैं!
जाने क्यों,
असमय जाकर,
हमें तकलीफ़,
देते हैं,
ये हमारे प्यारे!
जाने क्यों,
साथ नहीं जाते,
हमारे अपने,
दुनिया का दर्द,
दे जाते हैं,
यह हमारे-अपने!
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं