एकांत मुझे प्रिय है
काव्य साहित्य | कविता वेदिका संजय गुरव1 May 2025 (अंक: 276, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
हवाओं में अपने प्रिय से गुनगुनाना
वक़्त से लड़कर क्षण क्षण उनका मनन करना
स्वयं से बिछड़कर अपने भीतर उससे पाना
मन ही मन मुस्कुराना
कल्पना मात्र से लज जाना
उससे देखने से उसके देखने तक को
आँखों में छिपा लेना
अगर मुझे प्रेम ना दे सको
तो मुझे एकांत दे देना
एकांत मुझे प्रिय है
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