जहाँ सीता, वहीं राम
काव्य साहित्य | कविता नवरात्रा1 Feb 2024 (अंक: 246, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
क्या राम आयेंगे तो सब बदल जायेंगे?
हर महिला में सीता माता देख पायेंगे?
अपने अंदर के रावण को हरायेंगे,
या उद्घाटन के बाद फिर रावण बन जायेंगे?
राम नाम का ध्वज हर कोई लहराएगा,
हर घर में ख़ुशियों का दीया जलाया जाएगा,
अयोध्या में कुम्भ का मेला सा लग जाएगा,
पर इतने लोगों की भीड़ में जब सीता को कोई हाथ लगाएगा,
तब क्या ये राम नाम ढोंग नहीं कहलाएगा?
त्रेता में सिर्फ़ एक रावण था,
द्वापर में सौ थे कौरव,
कलियुग में हर गली मुहल्ले में
छिन्न-भिन्न होता रहा है नारी का गौरव
राम लल्ला के आने पर
अगर ये देश बिलकुल नहीं बदल पाएगा,
तो आख़िर कैसे राम नाम का
परचम लहराया जाएगा?
राम लल्ला के आने पर भी
अगर रावण नहीं घबराएगा,
तो क्या “जय श्री राम” धार्मिक से ज़्यादा
राजनीतिक नहीं नज़र आएगा!
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