आहट
काव्य साहित्य | कविता उमेश पंसारी15 May 2022 (अंक: 205, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
ये आहट भी बेज़ुबान है,
अनकही सी दास्तान है।
ख़ुशी देगी या देगी ग़म,
इससे हम अनजान हैं॥
शुभ हो तो मेहमान है,
अशुभ हो तो हैरान है।
होनी का अहसास देती,
यही इसका अहसान है॥
व्यवहार का संज्ञान है,
मासूम है पर शैतान है।
स्वेच्छा से आ आना,
आहट का ये गुमान है॥
स्वतंत्र है और शांत है,
जैसे खुला आसमान है।
अद्भुत चमत्कारों भरी,
यह प्रकृति महान है॥
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