आह्वान
काव्य साहित्य | कविता उमेश पंसारी15 Sep 2021 (अंक: 189, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
जागो उत्साहित योद्धाओं, तमस की आँखें मंद करो।
बनो रवि की तपती ज्वाला, किरणों सा आनंद भरो॥
एकता, साहस, स्नेह बढ़ा दे, बातें ऐसी चंद करो।
राष्ट्र-हितैषी वाणी के, प्रत्येक वर्ण को छन्द करो॥
चुनौतियों को ख़ुद ललकारो, संघर्षों से द्वन्द्व करो।
देशप्रेम की ज्योत जलाओ, आडंबर को बंद करो॥
आँखों में नव स्वप्न जगा दे, भोर सुहानी चंद करो।
रसना सदाचार से भर दो, वाणी को गुलकंद करो॥
अँधियारा चक्षु से बहा दे, ऐसा पुलकित क्रंद करो।
प्रेम स्वरों की ताल सजा दे, चित ऐसा मृदंग करो॥
ज़ंजीरों को विस्मृत करके, भावों को स्वच्छंद करो।
भारत की बगिया में महको, हर क्षण परमानंद करो॥
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