क्षमा
काव्य साहित्य | कविता मीनाक्षी झा15 Feb 2022 (अंक: 199, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
प्रतिशोध पर विजय मिले
यह इतना सरल नहीं
क्या क्षमा सबके बस की है?
नहीं नहीं नहीं नहीं
नंद के लाल वासुदेव जब
कूद यमुना जल पड़े
कालिय की करतूत से जब
जमुना विषमय थी हो गई
त्राहि-त्राहि गोकुल में
अनायास ही था मच गया
गेंद कारण प्रभु पहुँच गए
कालिय के दरबार में
गूँथ दूँ दुष्ट फण तुम्हारा
मचाया हाहाकार ये
हाथ जोड़ खड़ी हुई
कालिय पत्नी उस समय
तुम तो हो यशोदा के बालक
सिर का सिंदूर रहने दो
लाज मेरी तुम बिन प्रभु
कौन है रख सकता भला
अहंकार के नाश से जब
पूर्ववत सब हो गया
श्री कृष्ण की जय जयकार से
दस दिशा गुंजायमान् हो गया
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