बेसुरों की टोली में सुरीला बुरा
काव्य साहित्य | कविता मीनाक्षी झा1 Mar 2022 (अंक: 200, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
बेसुरों की टोली में सुरीला बुरा
किस क़द्र लड़खड़ाना बचाए भला
मिलकर एक हो जाएँ जब दानव सभी
मानव का पतन तो सुनिश्चित तभी
धर्म की ध्वज को जो थे थामे खड़े
अवसरपरस्तों ने उनको किनारे किया
सच की आवाज़ की जो बुलंदी रही
जवानी में उसको दफ़न कर दिया
सफ़ेदी में धब्बा लगाना सहज
काले ख़ूँख़ार को दे चुनौती बता
ज़माने . . . सीधे लोगों को इस क़द्र ना सता
सच्चे लोगों से है यह धरती हरी
नहीं तो मरूभूमि होती खड़ी।
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