मधुमय सावन
काव्य साहित्य | कविता मीनाक्षी झा15 May 2022 (अंक: 205, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
आया मधुमय सावन मास
खिलखिला उठे हरियाले हाथ
सखी सब आओ कजरी गाओ
ठूँठ ने दिखाया सब्ज़-बाग़
छोड़ी हरियाली की बौछार
दादी भी हुई बस मालामाल
बूढ़ा हाथ भी खनक उठा
पाँवों में आलता झलक उठा
अब मन मयूर भी मटक उठा
मन के गाँव में आओ बादल मतवारे
मेरा शहर ऊँचे कंकर का बना है प्यारे
दिल करे कि कहीं आम तले झूला झूले
रिक्त कोष संपूर्ण हो गया
हर बूँद बूँद बरसा अनुराग
साँवरिया को लिख डाला संवाद।
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