नारी
काव्य साहित्य | कविता मीनाक्षी झा15 Mar 2022 (अंक: 201, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
प्रतिद्वंद्वी नहीं पुरुष की
संगिनी मैं अंतरंगिणी हूँ
प्रिय पुरुष की प्रेरणा हूँ
साधक की साधना मैं
काव्य की अभिव्यंजना हूँ
नादब्रह्म ओंकारिनी मैंं
तपस से ब्रह्मचारिणी हूँ
अर्धनारीश्वर की परिपूर्णता
बाला वृद्धा और जरा हूँ
कालजयी ब्रह्मावादिनी हूँ
अंतरात्मा में समाहित
प्रतिध्वनित मैं स्पंदना हूँ
रात की कालिमा मैं हूँ
पारदर्शी पूर्णिमा मैं
संध्या की वंदना हूँ मैंं
और सुबह की प्रार्थना हूँ।
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