भ्रमजननी
काव्य साहित्य | कविता डॉ. ऋतु खरे1 Jun 2022 (अंक: 206, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
ऐ मेरे वंशधर!
जिस क्षण बना था वह
दो गुलाबी रेखाओं का रोचक समाचार,
उस क्षण से बना है तू
मेरी हर मंशा का राजकुमार।
मेरा तेरा सम्बन्ध
सरल सीधा स्पष्ट,
मैं तेरी पालिका
निर्णायिका परिवर्तक,
तेरी विजय हेतु उत्सुक
छवि हेतु अतिसजग।
हर क्षण में भरे
गतिविधियाँ आहार कार्यभार,
हर कण में भरे
खिलौनें जुगत उपहार।
तेरी शुद्धि हेतु लायी
प्रवचनों की बौछार,
तेरे सिद्धि हेतु लगायी
नियमों की क़तार।
पर! उत्तर में मिल रहा
एक अनोखा बर्ताव
क्षण क्षण नए आवेश
नए टकराव नए बुलाव,
कभी असत्य कभी चोरी
कभी तिरस्कार तो
कभी बंद बोलचाल,
निशिदिन सेवा
निरंतर निष्ठा
और हाथ आया
मात्र एक लुप्त सरोकार!
ऐ प्रदर्शक भ्रमजननी!
सर्वजानकार योजनाकार,
आओ हम भी सुना डालें
एक विलोम समाचार—
तेरा यह सम्बन्ध
रैखिक नहीं पर है गोलाकार,
तू नहीं कोई पालिका
तेरा प्रतिपालक है यह नेत्तृत्वकार,
तू नहीं कोई निर्णायिका
स्वयं निर्णयात्मक है यह जन्मजात बुद्धिमान,
तू नहीं कोई परिवर्तक
अपितु तुझे ही मिला है
परिणत होने का
एक निमंत्रण स्वर्णधार,
यदि कभी जान पाएगी यह भेद
शब्द नहीं जुटा पाएगी
प्रकट करने को आभार।
न्योछावर किया था
वस्तुओं क्रियाओं का भण्डार,
पर अपेक्षित था मात्र
भावुक समक्षता स्वीकृति का उपहार।
झल्ला कर बोली थी
तू क्रोध न कर,
चिल्ला कर बोली थी
तू मृदुता से बोला कर,
व्यग्र हो बोली थी
तू ध्यान धरा कर,
जब मानहर नाम दिए थे
करके अनंत अधिकार
तब तेरे शब्दों से बना रहा था
एक आतंरिक संसार,
पहले विचारा न होगा
अतिव्यस्तता अहं के कारण
पर आज सोच
कहीं दे तो नहीं रही
तू एक विसंगत उदाहरण।
तेरी इस व्यथा का है ही नहीं
तेरे वंशधर से जुड़ा कोई तार,
वह हर उपद्रवी उत्प्रेरक बर्ताव
असल में है—
तेरे उपेक्षित भावों को
समक्ष लाते दर्पण के समान,
कष्टों की जड़ों तक पहुँचाता
एक अग्रिम सोपान,
चैतन्य की ओर खींचता
एक निमंत्रण महान।
ऐ जननी! दे दे एक और जन्म
कर स्वयं का पुनर्जन्म
बन एक आध्यात्मिक संगिनी,
प्रचलित अचेतावस्थाओं की भंगिनी,
चेतना से परिपूर्ण भागीरथी।
तेरी मंशा को ललकारेंगे
जब कभी तेरे अंश के जीवन में
वयस्कता के उत्कंठन
आर्थिक संकट
संगियों के दबाव
किसी निकटतम सम्बन्ध में
आत्मीयता का अभाव,
तब उस ही गंगा में गोता खा
पुनः स्वतः सशक्त होगा तेरा वह राजकुमार,
तब समझ लेना
सफल हुई तेरी समक्षता
सिद्ध हुआ तेरा यह सोनम सरोकार।
सन्दर्भ:
"The Conscious Parent: Transforming Ourselves, Empowering Our Children" by Shefali Tsabary
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