मैं अलग हूँ
काव्य साहित्य | कविता हिमानी शर्मा15 Oct 2022 (अंक: 215, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
मैं अलग हूँ, कुछ कुछ सबसे अलग हूँ।
मुझे चाहत से ज़्यादा राहत की तलाश है,
कहीं पहुँचने की नहीं, बस रास्तों की प्यास है।
बातों में अलगाव नहीं, ठहराव ही मुझे रास है,
और प्रेम में जुनून नहीं सुकून की आस है।
मैं अलग हूँ, कुछ कुछ सबसे अलग हूँ।
मेरे सपने कहीं भी सीमित नहीं हैं,
मुझे एक एक कर पूरा करने की आदत है।
जब सीमित है सफ़र और नियमित साँसें हैं,
वहीं, अनियमित है डगर और असीमित राहें हैं,
मैं अलग हूँ कुछ कुछ सबसे अलग हूँ।
मुझे क़ैद नहीं, आज़ादी पसंद है,
रिश्तों में बैर नहीं दीवानगी पसंद है।
साथ कोई ज़रूरत नहीं, चाहत है इस सफ़र में,
मेरा जुनून और सुकून दोनों ही ख़ास हैं मेरे सफ़र में।
हाँ अलग हूँ, कुछ कुछ सबसे अलग हूँ।
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Ankita Joshi 2022/10/06 10:59 PM
Amazing content and concept.