कहानी
काव्य साहित्य | कविता हिमानी शर्मा15 Jul 2023 (अंक: 233, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
अंदाज़ा लगाने की ज़रूरत नहीं है,
जिसके क़ाबिल मैं हूँ, ये रास्ता वही है।
ज़माने को छोड़ रूह को जताने अब लगी हूँ,
है प्यार मुझे तुमसे, बस सच अब यही है।
अंदाज़ा लगाने की ज़रूरत नहीं है,
कहानी अभी मैंने, कहाँ पूरी कही है।
मैं शामिल तो हूँ उन झरोखों में अब भी,
और ज़ाहिर है रहूँगी ना साँसें हों तब भी,
ये रूह जो थी, अब कुछ कुछ नयी है,
कहानी अभी मैंने, कहाँ पूरी कही है।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- आज़माइश
- एक सपना
- कहने दो
- कहानी
- की बात है
- कुछ वक़्त बदल जाता
- चलो आज फिर कुछ लिखते हैं
- चेहरा
- जब-तब
- ढंग
- ढूँढ़ मुझे
- तुमसे मिली थी
- न जाने क्यूँ
- बिखरी हूँ
- बेहतर है
- महादेव की सेवक हूँ मैं
- मित्रता एक अपनत्व
- मुलाक़ात की बात है
- मेरी तरह
- मैं अलग हूँ
- मैं लिखती हूँ
- मैंने देखा है
- मौसम फिर बदला है एक बार
- वाक़िफ़
- वो मुझमें मैं उसमें
- शिव हैं
- साथ उनका
- साथ हूँ मैं
- सफ़र
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं