कहने दो
काव्य साहित्य | कविता हिमानी शर्मा1 Oct 2022 (अंक: 214, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
बहुत कुछ किया है तुमने,
कुछ तो मुझे भी कहने दो,
क्यूँ इतना रहते हो मुझमें,
कुछ तो मुझे भी रहने दो।
ख़ुशी की आहट है तुम्हारा आना,
मुझे इसे भी थोड़ा सुनने दो,
अभी कुछ कुछ ही सुना है तुमको,
मुझे इस पल में ख़ुशियाँ चुनने दो।
बहाव का रुख़ मुड़ने पर,
मुझे अपने से भी बहने दो,
क़दम क़दम पर सँभाल रहे हो,
कुछ मुझे भी तो सँभलने दो।
मेरे सपने तुम्हारे सपनों में है,
मुझे ख़ुद भी पूरा करने दो,
समेट रहे हो मुझे आहिस्ता आहिस्ता,
मुझे थोड़ा और बिखरने दो।
खनक सी है तुम्हारी बातों में,
मुझे भी साथ में खनकने दो,
एक अरसे से हो रास्तों पर अकेले,
चलो अब मुझे भी साथ चलने दो।
बहुत कुछ किया है तुमने,
कुछ तो मुझे भी कहने दो,
क्यूँ इतना रहते हो मुझमें,
कुछ तो मुझे भी रहने दो।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
Shalini 2022/10/08 08:31 AM
You have the art to express complex ideas in simpler amazing way❤️
Vinita Bhardwaj 2022/10/07 12:05 PM
The words spell magic to my heart
Abhinav 2022/10/07 07:32 AM
बहुत ही खूबसूरत रचना |
Ankita Joshi 2022/10/06 06:31 PM
Love your words!!❤️❤️
Ankita Joshi 2022/10/06 06:31 PM
Love your words!!❤️❤️
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- आज़माइश
- एक सपना
- कहने दो
- कहानी
- की बात है
- कुछ वक़्त बदल जाता
- चलो आज फिर कुछ लिखते हैं
- चेहरा
- जब-तब
- ढंग
- ढूँढ़ मुझे
- तुमसे मिली थी
- न जाने क्यूँ
- बिखरी हूँ
- बेहतर है
- महादेव की सेवक हूँ मैं
- मित्रता एक अपनत्व
- मुलाक़ात की बात है
- मेरी तरह
- मैं अलग हूँ
- मैं लिखती हूँ
- मैंने देखा है
- मौसम फिर बदला है एक बार
- वाक़िफ़
- वो मुझमें मैं उसमें
- शिव हैं
- साथ उनका
- साथ हूँ मैं
- सामर्थ्य
- सफ़र
पर्यटन
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
Bhavna 2022/10/08 08:16 PM
Kya kah diya kuch dil ko chu liya tumne wah wah