सफ़र
काव्य साहित्य | कविता हिमानी शर्मा1 Mar 2023 (अंक: 224, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
एक सफ़र जो सफ़र से शुरू हुआ
उस सफ़र के सफ़र का दिन है आज
एक सफ़र जो ठहर के शुरू हुआ
उस सफ़र के सफ़र का दिन है आज
मैंने जाना नहीं और माना नहीं,
मेरी सोच का तब था ठिकाना नहीं
जब मुड़कर रुकी उस रास्ते फिर मैं,
ये प्यार वहीं से शुरू हुआ
मेरे सफ़र के सफ़र का दिन है आज
बताया उसे कि चाहत थी मुझे भी
और जताया उसे कि है आहट उसे भी
इज़हार ये वहीं से शुरू हुआ
उसके सफ़र के सफ़र का दिन है आज
खोए थे जहाँ पर फिर मिले हम वहीं
जोड़े कुछ सपने मिलकर हमने कई
विश्वास ये वहीं से शुरू हुआ
हमारे सफ़र के सफ़र का दिन है आज
एक सफ़र जो सफ़र से शुरू हुआ
उस सफ़र के सफ़र का दिन है आज
हाँ माना भी मैंने और जाना भी कि
इस सफ़र के सफ़र का दिन है आज
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- आज़माइश
- एक सपना
- कहने दो
- कहानी
- की बात है
- कुछ वक़्त बदल जाता
- चलो आज फिर कुछ लिखते हैं
- चेहरा
- जब-तब
- ढंग
- ढूँढ़ मुझे
- तुमसे मिली थी
- न जाने क्यूँ
- बिखरी हूँ
- बेहतर है
- महादेव की सेवक हूँ मैं
- मित्रता एक अपनत्व
- मुलाक़ात की बात है
- मेरी तरह
- मैं अलग हूँ
- मैं लिखती हूँ
- मैंने देखा है
- मौसम फिर बदला है एक बार
- वाक़िफ़
- वो मुझमें मैं उसमें
- शिव हैं
- साथ उनका
- साथ हूँ मैं
- सफ़र
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
Ankita Joshi 2023/03/01 09:26 AM
बेहद सुंदर लेखन✨