महादेव की सेवक हूँ मैं
काव्य साहित्य | कविता हिमानी शर्मा15 Nov 2022 (अंक: 217, द्वितीय, 2022 में प्रकाशित)
जिनका योग एक सिद्धि और रूप प्रसिद्धि है,
उन महादेव की सेवक हूँ मैं।
जिनसे विचार में प्रभाव और अतिचार में अभाव है,
जिनसे संयम में वृद्धि और समझ में समृद्धि है,
जिनके भक्ति में प्रेम है और प्रेम में अभिव्यक्ति,
उन महादेव की सेवक हूँ मैं।
जिनसे नेत्रों में चमक और बोली में खनक है,
जिनसे मन में विश्वास और ख़ुशी की आस है,
जिनके सिद्धांतों में आग़ाज़ और सोच में गौरी का आभास है,
उन महादेव की सेवक हूँ मैं।
जिनसे विनम्रता में पूर्णता और अहम् में अपूर्णता है,
जिनसे व्यवहार में स्थिरता और मन में सहजता है,
जिनके होने से सुकून है और जो मेरा वुजूद हैं,
उन महादेव की सेवक हूँ मैं।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
- आज़माइश
- एक सपना
- कहने दो
- कहानी
- की बात है
- कुछ वक़्त बदल जाता
- चलो आज फिर कुछ लिखते हैं
- चेहरा
- जब-तब
- ढंग
- ढूँढ़ मुझे
- तुमसे मिली थी
- न जाने क्यूँ
- बिखरी हूँ
- बेहतर है
- महादेव की सेवक हूँ मैं
- मित्रता एक अपनत्व
- मुलाक़ात की बात है
- मेरी तरह
- मैं अलग हूँ
- मैं लिखती हूँ
- मैंने देखा है
- मौसम फिर बदला है एक बार
- वाक़िफ़
- वो मुझमें मैं उसमें
- शिव हैं
- साथ उनका
- साथ हूँ मैं
- सफ़र
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
Ankita Joshi 2022/11/03 04:19 PM
This is beautiful. Har Har Mahadev!