सीमाएँ
काव्य साहित्य | कविता सत्येंद्र कुमार मिश्र ’शरत्’1 Aug 2019
सबकी अपनी
सीमाएँ होती हैं,
सबकी अपनी
लक्ष्मण रेखाएँ होती हैं,
जिन्हें
बहुत कम लोग
पार करने की
हिम्मत
करते हैं
और
इतिहास बनते हैं।
रावण तो
एक मिथक है
सीमा रेखा
न पार करने का
गढ़ा गया
नारी के लिए
केवल
बहाना है।
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