सुंदरता
काव्य साहित्य | कविता सत्येंद्र कुमार मिश्र ’शरत्’15 May 2019
उस
खिलते हुए
गुलाब को देख कर
सुंदरता का राज़ पता चला।
सुंदर
कोई नहीं होता
और सभी होते हैं।
सुंदर तो
समय होता है
आज हमारा
तो
कल किसी और का।
मुरझाते हुए
गुलाब को
कोई याद नहीं रखेगा
एक
नई
कली आकार ले रही
है।
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