पहेली
काव्य साहित्य | कविता सत्येंद्र कुमार मिश्र ’शरत्’15 Mar 2020 (अंक: 152, द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)
वह
दिल की
कहती कुछ नहीं है,
बहुत ख़ुश होती है
तो हल्के से,
आँखें झुकाकर
मुस्कुरा देती है।
दु:खी होती है
तो रो देती है।
हर स्थिति में,
मैं
उसे
ताकता रहता हूँ,
समझ कुछ नहीं पाता।
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