हम हमेशा ठीक ही रहेंगे
काव्य साहित्य | कविता पवन त्रिपाठी15 Sep 2025 (अंक: 284, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
हम हमेशा ठीक ही रहेंगे,
हम कभी बिगड़ेंगे नहीं।
चाहे कोई अजनबी ही क्यों न हो,
हमसे आकर कुछ भी पूछ ले कहीं।
दिन में पूछ ले, या गहराती रात में, पूछ ले
उम्र के किसी भी मोड़ पर, पूछ ले
वो राह की करवट पर।
हमसे जीने का नज़रिया पूछ ले,
आदमी की फ़ितरत पूछ ले।
नए ज़माने का हाल पूछ ले,
या बीते लम्हों की चाल पूछ ले।
ख़ुदा की हमसे मर्ज़ी पूछ ले,
उसकी रहमत की गर्मी पूछ ले।
जो जा रहे हैं सीधे रास्ते,
उनकी मंज़िल की दूरी पूछ ले।
हम हर सवाल में मुस्कराएँगे,
सच के रस्ते पर ही चल पाएँगे।
दिल में कोई खोट न होगी कभी,
क़दमों में काँपती चोट न होगी कभी।
हम हमेशा ठीक ही रहेंगे
कभी बिगड़ेंगे नहीं।
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