इश्क़ का तिनका
काव्य साहित्य | कविता पवन त्रिपाठी1 Oct 2024 (अंक: 262, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
तिनका तिनका उड़कर
इश्क़ का
तेरे दिल की दीवार पर जा बैठा
दिल की दीवारों ने भी
अपनी बाँहें फैलाईं
और उस इश्क़ को
अपना घर बना लिया!
धीरे-धीरे वो तिनके
सपनों के परिंदे बन गए
तेरे दिल की बग़िया में
ख़ुश्बू बनकर बिखर गए।
तिनका तिनका उड़कर
इश्क़ का
तेरे दिल की दीवार पर जा बैठा
और हम दोनों ने मिलकर
उसे अमर प्रेम बना दिया।
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