मेरी फ़िक्र में वो
शायरी | नज़्म पवन त्रिपाठी1 Oct 2023 (अंक: 238, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
उम्र भर जो फ़िक्र में रहा
वो शख़्स मुझसे ज़्यादा बेक़रार रहा!
जब था वो बुलन्दियों पर
तब वो ख़ुदा से जोड़ा गया
पर ज़मीं पर जब वो आया
तो वह मिट्टी में मिलता गया
था मैं बदनसीब
जो उसे ख़ुदा समझता रहा
पर वो अपने बदलते सफ़र में
एतबार के क़ाबिल न रहा
उम्र भर जो फ़िक्र में रहा
वो शख़्स मुझसे ज़्यादा बेक़रार रहा!
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
नज़्म
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं