इश्क़ की ख़्वाहिश
शायरी | नज़्म पवन त्रिपाठी15 Dec 2023 (अंक: 243, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
न ठीक से देखा तुम्हें और न समझा
फिर भी ख़्वाहिश थी मोहब्बत की!
कई दिनों से देख रहा था तुम्हें
पर रात भर यूँ ही थमी रही!
इश्क़ के परिंदे दिल में उड़ने लगे
और ज़ुबान पर तुम अभी तक आयी नहीं!
हम भी एक मुसाफ़िर से बन गए
और तुम अभी तक मंज़िल बनी नहीं!
न ठीक से देखा तुम्हें न समझा तुम्हें
फिर भी ख़्वाहिश थी बस मोहब्बत की!
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
नज़्म
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं