सृजन
काव्य साहित्य | कविता पवन त्रिपाठी1 May 2024 (अंक: 252, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
सृजन है एक अलौकिक शब्द
जो बुनता है नए शब्दों को
साहित्य जिसका ज्वलंत प्रमाण
जो बनाता है नए समाज को।
सजीव और निर्जीव प्रकृति
जो बिछी है इस धरा पे
हर कोने में बसी है इसके
एक भव्य सुंदर छटा है।
विचारों का संगम
और भावनाओं का सागर जिस पे
हर पर जहाँ उदय हो
एक नई दिशा जिसमें।
है यह ईश्वर की अद्भुत शक्ति
और संसार की प्रेरणा
जो समर्पित है हम सभी को।
जीवन की सार्थकता इसमें
और सहजता भी इसमें
चलो इसको हम सब पहचाने
और बुने फिर से नए भारत को।
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