ज़रा सी अनबन
काव्य साहित्य | कविता रुचि श्रीवास्तव1 Feb 2025 (अंक: 270, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
ज़रा सी अनबन से
रिश्ते ख़राब न कीजिए,
थोड़ा सा आप झुक जाइए,
थोड़ा सा उन्हें माफ़ कीजिए।
इन प्यारे रिश्तों से ही,
घुलती जीवन में मिठास।
रिश्ते नहीं होते,
तो अकेले बैठे रहते आप।
होते बहुत ही उलझे हुए,
पर जब प्यार हो तो,
बहुत ही सुलझे हुए।
बस वक़्त देना है थोड़ा सा,
और थोड़ी देखभाल,
फिर देखिए कितना सुंदर होता
इन रिश्तों का साथ!!
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