सजग बनो मतदाता
काव्य साहित्य | कविता वेद भूषण त्रिपाठी1 Feb 2023 (अंक: 222, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
जागो-जागो प्रिय मतदाता
जनजीवन के भाग्य विधाता।
न दबाव हो न दुर्भाव हो
अंतरात्मा की पुकार हो।
जाति-धर्म से नाता तोड़ो
अभिमानी बन मुख मत मोड़ो।
आओ सब मिल प्रेम से
पूर्ण करें मतदान।
मानव धर्म ही श्रेष्ठ है
जन-जन का अभियान।
जागो-जागो प्रिय मतदाता
जनजीवन के भाग्य विधाता।
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