धर्म-ध्वजारोहण
काव्य साहित्य | कविता वेद भूषण त्रिपाठी1 Dec 2025 (अंक: 289, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
श्रीराम मंदिर के मुख्य शिखर पर
धर्म-ध्वज फहराएगा।
सत्य सनातन धर्म संस्कृति का
मंगल संदेश फैलाएगा।
केसरिया परिधान पहन कर
मातृशक्तियाँ आएँगी।
दरस-परस मज्जन कर जल
का पुण्य-पुंज खिलाएँगी।
अमृत जल से अभिसिंचित कर
मंगल कलश सजाएँगी।
सरयू माँ के पावन तट पर
मंगलदीप जलाएँगी।
दिव्य कलश को श्रद्धाभाव से
जन्मभूमि ले आएँगी।
श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र
मंगलमयी बनाएँगी।
जन्म भूमि की पावनता का
वैश्विक मान बढ़ाएँगी।
श्रद्धालु ज्ञानी ध्यानी योगी
श्रेष्ठ संत जन आएँगे।
पंच दिवसीय देवी-देव अनुष्ठान
यज्ञ वेदी पर कराएँगे।
वैदिक मंत्रोच्चारण पूर्णाहुति से
सुख मंगल वर्षाएँगे।
रामलला का दर्शन करके
धन्य-धन्य हो जाएँगे।
दिव्य भव्य पावन मंदिर का
पूर्ण आनंद मनाएँगे।
श्रद्धानत हो प्रभु श्रीराम के
दर्शन का सुख पाएँगे।
स्वयं तरेंगे स्नेहभाव से
पितृ-देव भी तर जाएँगे।
इंद्रप्रस्थ अवध-धाम का
शुभ संगम हो जाएगा।
श्रीराम मंदिर के मुख्य शिखर पर
धर्म-ध्वज फहराएगा।
सत्य सनातन धर्म संस्कृति का
मंगल संदेश फैलाएगा।
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