अखण्ड भारत
काव्य साहित्य | कविता वेद भूषण त्रिपाठी15 Oct 2019
आओ सभी मिलकर क़ुशियाँ मनाएँ
जीवन में शुभता का संचार लाएँ।
कोई दुःखी न हो न हो बेसहारा
अखण्ड भारत राष्ट्र सदा हो हमारा।
राष्ट्रीय पुष्प घर घर में ख़ुशहाली लाए
जीवन में शुभता का नव पथ दिखाए।
जन जन की सेवा का ध्येय हो हमारा
अखण्ड भारत राष्ट्र सदा हो हमारा।
दुःखियों की सेवा में तन मन लगाएँ
घर घर सुमंगल की ज्योति जलाएँ।
सत्पथ पर बढ़ने का ध्येय हो हमारा
अखण्ड भारत राष्ट्र सदा हो हमारा।
शिक्षा का संदेश जन जन तक जाए
स्वदेशी उत्पाद हर मन को भाए।
बढ़ता रहे राष्ट्र का गौरव प्यारा
अखण्ड भारत राष्ट्र सदा हो हमारा।
वेदों की महिमा ऋषियों ने गाई
भारतीय संस्कृति विश्व में समाई।
जीवन में बढ़ने का ध्येय हो हमारा
अखण्ड भारत राष्ट्र सदा हो हमारा।
भारत सोने की चिड़िया कहाए
फहराआ तिरंगा गगन चूम जाए।
प्रगतिशील भारत हो जग में न्यारा
अखण्ड भारत राष्ट्र सदा हो हमारा।
आओ सभी मिलकर खुशियाँ मनाएँ
जीवन में शुभता का संचार लाएँ।
कोई दुःखी न हो न, हो बेसहारा
अखण्ड भारत राष्ट्र सदा हो हमारा।
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टिप्पणियाँ
डॉ उन्मेष मिश्र 2022/07/01 09:00 AM
अखण्ड भारत राष्ट्र सदा हो हमारा। उत्कृष्ट रचना - लेखक द्वारा शब्दों का चयन बहुत सुंदर ।
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Shivanshu Pandey 2023/04/21 10:54 PM
Good work