रावण ने सीताहरण किया भांजा शंबूक हत्या व भगिनी शूर्पनखा अपमान के प्रतिकार में
काव्य साहित्य | कविता विनय कुमार ’विनायक’1 Mar 2023 (अंक: 224, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
रावण ने सीताहरण किया भांजा शंबूक की हत्या
और भगिनी शूर्पनखा के अपमान के प्रतिकार में
देवासुर संग्राम/ देव दानव टकराव के बाद राम का दौर ये!
जब अदिति पुत्र आदित्य सूर्य का मनुवंश मानव आर्य कहलाने लगे
और दिति दनु कद्रू आदि का वंशज दैत्य दानव नाग असुर अनार्य
पुलस्त्य वंशी रावण के रक्ष संस्कृति/ राक्षस धर्म को अपनाने लगे!
अभी भारत में वर्णाश्रम धर्म पूरे तौर से स्थापित नहीं हो पाया था
देव दनुज दानव मानव आर्य अनार्य नाग यक्ष गंधर्व किरात किन्नर
रीछ वानर टोटमी वनवासियों में स्त्री अपहरण व जारकर्म जारी था
तब जारकर्म से न तो स्त्री दूषित होती न कोई वर्णसंकर घोषित होता
इसी जारकर्म से देवपुत्र ऋषि मुनि मानव वनवासी जन्म ले रहे थे
अगस्त्य वशिष्ठ मित्रावरुण देवों के ऐसे पुत्र ऋषि व आर्य याजक थे!
इन्द्रदेव के गौतम ऋषि पत्नी अहल्या से जारकर्म करने से
बालि सुग्रीव दो जुड़वाँ पुत्र हुए,अहल्या-गौतम की कन्या अंजनि
वानर टोटमवादी वानरराज केशरी को ब्याही गई थी
मरुतदेव की कृपा से महावीर मारुति हनुमान पैदा हुए थे
ये सभी देव संतति स्वाभाविक रूप से आर्य मानव के पक्षधर थे!
यद्यपि रावण ने बालि की बहन से विवाह कर उनको मिला लिया
हनुमान को शूर्पनखा की पुत्री से शादी कराके जमाता बना लिया
पर मारुति ने शीघ्र रिश्ता तोड़ा, बालि भी राम के हाथों मारा गया!
रावण कुंभकर्ण विभीषण शूर्पनखा संतान थी
ऋषि पुलस्त्य पुत्र विश्रवा और सुमाली दानव कन्या कैकसी की,
रावण; देव आर्य मानव वानर रीछ गिद्ध गरुड़ जाति के विरोधी
एक आष्ट्रिक आस्ट्रेलियाई मूल का, शिवलिंग पूजक शैव,लंकापति
भारत आक्रांता, आर्यावर्त दण्डकारण्य में उपनिवेश विस्तारवादी!
रावण भांजा शंबूक ने अवध में बना ली शिवोपासना की तपोभूमि,
दण्डकारण्य में यक्षिणी ताड़का राक्षसी थी रावण उपनिवेश की अधिष्ठात्री
सूर्यवंशी राजर्षि जनक की मिथिला, इक्ष्वाकु वंशी दशरथ की अयोध्या
मध्य भारत विंध्याचल के चंद्रकुल हैहयवंशी आर्य सहस्रार्जुन की माहिष्मती
चंद्रवंशी राजर्षि विश्वामित्र के सिद्धाश्रम पर रावण की पड़ी थी कुदृष्टि!
ऐसे में राजर्षि विश्वामित्र ने सूर्यवंशी अयोध्या पति दशरथ से
दो पुत्र राम लक्ष्मण को रावण से आर्य संस्कृति रक्षणार्थ मांगे थे
दोनों भाइयों को नवीन शिक्षा दी युद्धरत स्त्री से युद्ध लड़ने की!
रावण ने उपनिवेश व रक्षणीय क्षेत्र में नारी शक्ति स्थापित की थी,
कहीं ताड़का, कहीं शूर्पनखा, कहीं सुरसा, कहीं लंकिनी थी अधिष्ठात्री,
संतानहीन जनक के मिथिला में मंदोदरी गर्भोत्पन्न नवजात कन्या
सीता को परशुराम प्रायोजित शिवधनुष की छत्र छाया में छोड़ रखी थी!
तबतक कोई आर्य मानव शैव नहीं था, शिव पूजा आर्यों में थी वर्जित,
जनक ने उसी शिवधनुष भंग कर्ता से पुत्री सीता ब्याहने की शर्त रखी,
आर्य क्षत्रिय विश्वामित्र थे गायत्री ऋचा रचयिता ऋग्वेद मंत्रद्रष्टा ऋषि
उन्हें ज्ञात था शिवचाप उठाकर शिव अवज्ञा करने कोई शैव आएगा नहीं,
शिवभक्त पुलस्त्य रावण भार्गव परशुराम सीता स्वयंवर से रहेगा दूर ही!
सचमुच रावण कुल कुनबा और भार्गव परशुराम स्वयंवर में नहीं आए,
शिवधनुष भंग के बाद परशुराम राम से प्रतिवाद कर हारकर चले गए!
विश्वामित्र ने रावण को परास्त करने की कूटनीतिक विधि निकाली,
राम के हाथों ताड़का वध कराया,जनक नंदिनी सीता राम को ब्याही,
लक्ष्मण ने रावण भांजा शंबूक का वध कर चंद्रहास खड्ग छीन लिया,
युद्ध करने आई रावण भगिनी शूर्पनखा पर वार कर नाक काट ली!
विश्वामित्र और अपने फूफा अगस्त्य के इंद्रजाल में फंस गए रावण
एक तरफ बहन की अस्मिता, दूसरी तरफ पुत्री सीता का सुहाग रक्षण,
युद्ध करे तो कैसे? पुत्री का राजनीतिक हरण करने का निर्णय लिया,
राम को दंडित करने का एकमात्र उपाय पत्नी वियोग कराने की इच्छा!
रावण ने मारीच संग सीताहरण की योजना बनाई
मारीच ने राम को छद्म युद्ध में फँसाया
और लक्ष्मण को चकमा देकर सीता से दूर ले गया
रावण ने सीता का हरण किया पितृ भाव से
अन्यथा दूषित भाव से सीता को छूते ही अनुसूया के बताए
सीता के रासायनिक अंग लेप से बलात्कारी भस्मीभूत हो जाता!
सीता को रावण ने पुत्री संबोधन से सारा रहस्य बतलाया
तुम्हारा पति राम जीवित है, मैंने बहन शूर्पनखा के अपमान खातिर
तुम्हारा राजनैतिक हरण कर पत्नी वियोग का राम को दण्ड दिया
परख लो पुष्पक विमान पर सवार हो सकती नहीं है कोई भी विधवा!
सीता आश्वस्त हुई पुष्पक पर सवारी से कुछ अनहोनी घटना घटी नहीं,
अंग लेप रसायन स्पर्श से जो जला नहीं वह पिता के सिवा कौन हो सकता?
सीता रावण के रनिवास में नहीं और ना ही किसी बंदीगृह में रखी गई,
बल्कि त्रिजटा मंदोदरी की अभिरक्षा में अशोक वाटिका में पति वियोग सही!
यह राज तो राम लक्ष्मण को पता नहीं था मृत्यु पूर्व रावण ने ही बतलाया,
राम को बस इतना पता था कि रावण आर्य और आर्यावर्त का आक्रांता शत्रु था,
राम को यह पता चला कि रावण ऐसा ज्योतिष था जिन्होंने जन्मी पुत्री भय से
घबड़ाकर उसे परित्याग किया मिथिला में, फिर हरकर पति वियोग में तड़पाया!
रावण हतभाग्य था ना आर्यावर्त जीत सका, न पुत्री को अग्निपरीक्षा से बचा पाया,
रावण धरा का ऐसा स्त्री अपहर्ता जिसने स्त्री को पुत्री मानकर बलात्कार नहीं किया,
मगर रावण ने राम से रामेश्वरम शिवलिंग स्थापित कराके आर्यों को शैव बना दिया,
यह रावण था जिसने वैदिक धर्म में लिंग पूजा जोड़ आर्य द्रविड पूजा विधि एक की!
हर कवि ने अपनी मानसिकता के अनुसार राम कथा लिखी
आदिकवि वाल्मीकिकृत रामायण है संस्कृत का प्रथम महाकाव्य
जिसमें समय समय पर प्रक्षेप हुआ शूद्र शंबूक वध सीता परित्याग
तुलसी रामचरितमानस है वर्णाश्रम ब्राह्मण धर्म स्थापना का प्रयास!
किसी ने रावण भांजा शंबूक को शूद्र कहके राम को शूद्रहंता बताया
जबकि तबतक चतुर्वर्ण नहीं बना था,सिर्फ आर्य अनार्य ऋषि मुनि
यक्ष गंधर्व किरात किन्नर रीछ वानर आदि वर्ण विहीन जातियाँ थी,
उस काल में सभी तपी थे आर्य आदित्य इन्द्र वरुण विष्णु आराधक,
अनार्य असुर यक्ष राक्षस गंधर्व कोल किरात शिवोपासक,शूद्र कोई नहीं!
किसी ने सीता को वनवास दिलाकर राम को नारी द्रोही बना दिया
जबकि राम का सीता संग वनगमन आर्यों के द्वारा सुनियोजित था,
रावण के राक्षस संस्कृति को मारना था, सबको आर्य बनाना था,
‘कृण्वन्तो विश्वं आर्यम’ का लक्ष्य आर्य राम के लिए निर्धारित था!
लक्ष्य पूर्ति हेतु राम को दण्डकारण्य से लंका तक कभी विश्वामित्र,
कहीं वशिष्ठ अगस्त्य, कहीं विराध, कहीं गिद्ध जटायु, कहीं वानर
सुग्रीव हनुमान अंगद नल नील,कहीं अत्रि अनुसूया शबरी,कहीं रीछ
कहीं गरुड़ सुपार्श्व संपाति,राक्षस विभीषण सभी मनुष्य जातियाँ थी!
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