पैरों की पूजा होती मगर मुख हाथ पेट पूज्य नहीं होते
काव्य साहित्य | कविता विनय कुमार ’विनायक’15 Jun 2023 (अंक: 231, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
पैरों की पूजा होती मगर
मुख हाथ पेट जाँघ पूज्य नहीं होते
पैर चाहे जिनके भी हों
पैर पूजने की परंपरा है भारत भूमि में
सनातन से चली आ रही विश्वजनीन रीति ये!
आख़िर पैर क्यों पूजनीय हैं?
क्योंकि पैर कभी इच्छा याचना
भक्षण और ग्रहण नहीं करते
पैर त्यागी और पथ प्रदर्शन करते!
मुख हाथ पेट ग्रहणशील होते
मुख और पेट को चाहिए भोजन
ब्राह्मण और बनिया के जैसे
एक करता है भोजन का ग्रहण
दूसरा खाद्य पदार्थों का संग्रहण!
हाथ को चाहिए सहारा हमेशा से
कभी माता पिता की उँगलियों का
पति-पत्नी एक-दूसरे का हाथ थामते
बुढ़ापे में हाथ को सहारा लाठी का!
क्षत्रिय बाहुबली होता बाहुओं के सहारे
पर पैर किसी से कुछ नहीं ग्रहण करता
दो चरण आजीवन जीव का पथ प्रदर्शन करते
पैर पूजनीय है पथ प्रदर्शन के कारण से!
माता पिता की चरण वंदना
ब्रह्मा और ब्राह्मण मुख से करते
गुरु महाजनों के चरण रहबर होते
‘महाजनो येन गत: सो पंथा'!
गौरीशंकर सुत गणेश ने सीमित साधन से
विश्व परिभ्रमण का प्रथम ख़िताब जीता था
तत्क्षण अपने माता पिता के चरण वंदन से!
बड़े बड़े युद्ध जीते जाते, शत्रु को स्वजन बनाए जाते
बड़ों की चरण वंदना करके, शरणागत बन कर के
विभीषण ने राम से शत्रुता मिटाई, लंका की गद्दी पाई,
अर्जुन ने पितामह को जीता, चरण स्पर्श से मृत्यु भेद जान के!
बड़ों के चरण कमल सरीखे पूज्य होते
हर व्रत की पूर्णाहुति चरण स्पर्श से ही होती
चाहे हो तीज त्योहार वट सावित्री जीवित पुत्रिका
नारी यमराज को मना लेती पति चरण स्पर्श से!
पुत्र पुत्रियाँ मातृ-पितृ-गुरु ऋण से मुक्ति पाता
कुछ ले देकर कहकर नहीं, सिर्फ़ चरण स्पर्श से,
बड़ों का आशीष नहीं मिलता बड़प्पन दिखाने से,
बड़ों के आगे सिर्फ़ शीश झुकाना भी है अशिष्टता!
चरण स्पर्श पवित्रता और सम्मान का प्रतीक है
पैर के सिवा कोई अंग विधि बिना स्पर्श योग्य नहीं होते
बड़ों के प्रति अहंकार अपमान अवमानना का शमन
और समझौता होता नहीं किसी विधि सिवा चरण स्पर्श के!
किसी के एहसान का बदला चुकाया नहीं जा सकता
सिर्फ़ गाल बजा के, हाथ मिला के, गले लगा के,
बड़ों से टूटे गाँठ पड़े रिश्ते फिर से निभाए जा सकते
बड़ी बड़ी शत्रुता मिटाई जा सकती केवल चरण स्पर्श से!
चरण स्पर्श चिरौरी नहीं पवित्र भाव अभिव्यक्ति
निःस्वार्थ सेवा आदर और त्याग भावना की प्रतीती
सारे कृषक सेवक कामगार सभी पूज्यपाद पूजनीय
चरण कभी शूद्र नहीं, कभी क्षुद्र नहीं, कभी क्रुद्ध नहीं,
रुद्र सा आदिकाल से पूज्य पवित्र परमादरणीय होते!
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