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प्रश्नोत्तर की परंपरा से बनी हमारी संस्कृति


प्रश्नोत्तर की परंपरा से बनी हमारी संस्कृति, 
प्रश्न करे उत्तर दे उपनिषद ऐसी ज्ञान विधि! 
उपनिषद यानी गुरु समीप बैठ ज्ञान प्राप्ति, 
यह वेदान्त बौद्ध जैन दर्शन की मूल निधि! 
 
समस्याओं का हल वाद-विवाद-संवाद में ही, 
भारत में गुरु-शिष्य पठन विधा थी बलवती! 
कठोपनिषद यम नचिकेता संवाद मृत्यु-गुत्थी, 
मुण्डकोपनिषद में सत्यमेवजयते की प्रतीति! 
 
वृहदारण्यकोपनिषद; याज्ञवल्क्य मैत्रेयी वार्ता, 
असतोमा सदगमय! तमसो मा ज्योतिर्गमय! 
मृत्योर्मामृतं गमय! ॐ शान्ति शान्ति शान्ति:
‘पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते! पूर्णस्य
पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते’का शान्ति पाठ! 
 
भगवत गीता ब्रह्मसूत्र उपनिषद प्रस्थानत्रयी, 
ब्रह्म जीव जगत के ज्ञान में करते श्रीवृद्धि! 
यक्ष युधिष्ठिर संवाद से धर्म का मर्म खुला, 
यम नचिकेता उवाच से मृत्यु रहस्य सुलझा! 
 
छान्दोग्य आरुणि उद्दालक श्वेतकेतु संवाद, 
गीता गुरु कृष्ण, शिष्य अर्जुन का वार्तालाप! 
धर्म वो जो मानवीय जिज्ञासा का संधान दे, 
धर्म वो जो शंका का तार्किक व्याख्यान करे! 
 
भारतीय धर्म में है अभिव्यक्ति की आज़ादी, 
सावित्री के प्रश्नों व तर्क से हारे थे यम भी! 
ब्रह्मवादियों व ब्रह्मवादिनी में शास्त्रार्थ की
परम्परा व परिचर्चा में प्रसिद्ध विदेह भूमि! 
 
भारतीय वेद वेदांत दर्शन है धरा को वरदान, 
भारतीय आगम-निगम में सर्वस्व समाधान! 
भारतीय धर्म दर्शन ज्ञान नहीं पलायनवादी, 
भारतीय धर्म औ’ संस्कृति नहीं अवसरवादी! 
 
भारतीय धर्म मत पंथ नहीं है अलगाववादी, 
ये भारतीय सभ्यता-संस्कृति विश्व की थाती! 
भारतीय संस्कृति मानवता को उर्वर बनाती, 
भारतीय संस्कृति बर्बर को सभ्यता सिखाती! 
 
ये संस्कृति सिखाती प्यासे को पानी पिलाओ, 
बिना भेदभाव के भूखे के लिए लंगर चलाओ! 
चिड़ियों को दाना चुगाओ, गौ को माता समझो, 
जीव-जंतुओं से प्रेम करो जिओ और जीने दो! 

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