मैं बिहार भारत की प्राचीन गौरव गरिमा का आधार हूँ
काव्य साहित्य | कविता विनय कुमार ’विनायक’1 May 2022 (अंक: 204, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
मैं भारत का प्राचीन मगध साम्राज्य बिहार हूँ
उत्तर पूर्व में गंगा के दक्षिणी पश्चिमी तट पर
गिरिव्रज राजगृह पाटलिपुत्र से शासित होकर
आर्य अनार्य व्रात्य भूमि कीकट कछार पर्वत पठार हूँ!
अथर्ववेद की प्रसव स्थली
आयुर्वेद की आविष्कार भूमि
च्यवन सुकन्या के पुत्र दधिचि
अस्थिदानी की महिमा से मंडित
मैं मगध गंगा गंडक कोसी शोण फल्गु गया बिहार हूँ!
यहीं देव चिकित्सक अश्विनी कुमारों ने
च्यवनप्राश औषधि बनाई युवा होने की
वृद्ध च्यवन को राजकुमारी सुकन्या के
योग्य बनाने की एक तरकीब निकाली थी
मैं प्राचीन मगध बिहार अथर्ववेद ऋचाओं का उद्गार हूँ!
इसी च्यवन आश्रम में चन्द्रपुत्र बुध
सूर्य कन्या ईला के पुत्र राजा पुरुरवा
और देव अप्सरा उर्वशी के लाल आयु
शिक्षित दीक्षित हुए लंबी उम्र बिताई थी
च्यवनपुत्र दधिचि ने ब्रह्मापुत्री सरस्वती से
विवाह रचाकर पुत्र सारस्वत जैसा संतति पाई
मैं प्राचीन मगध बिहार दान धर्म पराक्रम का शृंगार हूँ!
वृत्रासुर वध हेतु दधिचि ने इन्द्र को
इसी मगध में अपनी अस्थियाँ दान कीं
इन्द्र का वज्र, ब्रह्मा व विष्णु का धनुष
देहदानी दधीचि की हड्डियाँ ही बनी थीं
मैं प्राचीन मगध बिहार देवों पर कृत दान उपकार हूँ!
वैदिक ऋषि दीर्घतमा व पुत्र काक्षीवान
और काक्षीवान की विदुषी कन्या घोषा,
याज्ञवल्क्य, मैत्रेयी, गार्गी ब्रह्मवादिनी
प्राचीन मगध मिथिला बिहार की संतान
मैं प्राचीन मगध बिहार वैदिक ज्ञान विद्या का भंडार हूँ!
इसी बिहार के सीतामढ़ी ने माँ सीता जाई
राम ने बकसर में विश्वामित्र से शिक्षा पाई
विदेह राज जनक के भगवान राम थे जमाई
मैं भगवान राम की ससुराल प्राचीन सीतामढ़ी बिहार हूँ!
राजगीर में महाभारत कालीन बृहद्रथ के
बलशाली पुत्र जरासंध का मलयुद्ध अखाड़ा था
जहाँ भीम ने जरासंध की जंघा तोड़ पछाड़ा था
इसी बिहार की अंग भूमि गंगा तट पर
कर्ण ने देह चीर इन्द्र को कवच कुंडल दान दिया
मैं प्राचीन बिहार अंगराज महादानी कर्ण का घरबार हूँ!
ऋषभदेव वासुपूज्य नेमीनाथ महावीर को छोड़कर
बीस तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि पारसनाथ सम्मेदशिखर
वासुपूज्य की अंगभूमि मंदार और चौबीसवें तीर्थंकर
वर्धमान महावीर को कैवल्य ज्ञान मिला पावापुरी नालंदा में,
बुद्ध ने बुद्धत्व को पाया बोधगया बिहार में
इन पच्चीस क्षत्रियों से फैला अहिंसावादी धर्म संसार में
मैं बिहार महावीर के मौसेरे भाई अजातशत्रु का दरबार हूँ!
इसी बिहार के मगध राजगृह पाटलिपुत्र सिंहासन पर
हर्यक, शिशुनाग, नंद, मौर्य, शुंग, कण्व, सातवाहन,
गुप्त राजवंशों ने शासन किया था बृहदतर भारत पर
हर्यकवंशी बिम्बिसार पुत्र पितृहंता अजातशत्रु के पुत्र
उदायिन ने राजगृह से पाटलिपुत्र राजधानी बदली थी
मैं प्राचीन बिहार भारत के जनपदों के शीर्ष शासकों का कंठहार हूँ
हर्यकों के बाद शिशुनाग, कालाशोक, मौर्य चंद्रगुप्त, बिन्दुसार,
अशोक, चंद्रगुप्त, समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त॥ विक्रमादित्य, कुमारगुप्त
राजाओं के घोड़े ने अरब सागर से बंगाल खाड़ी तक का पानी पिया
मैं बिहार भारत के राजे महाराजे प्रजाजन का रहा पालनहार हूँ!
यहीं नंदवंशी घनानंद की अपार सेना देखकर
सिकंदर का छूटा पसीना, सोचा भय से भाग जाना
चाणक्य की कूटनीति से निकला चन्द्रगुप्त मौर्य सा
एक चक्रवर्ती मगध सम्राट कृषक खेतिहर घर का सलोना
मैं बिहार तक्षशिला आचार्य चाणक्य का कूटनीतिक विचार हूँ!
चंद्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसार, अशोक थे सम्राट महान
अटक से कटक, अरब सागर से बंगाल की खाड़ी तक का,
अशोक से ही बौद्ध धर्म को विश्व में मिली पहचान
मैं प्राचीन मगध बिहार अवैदिक बौद्ध जैनधर्म का सृजनहार हूँ!
इसी मगध में बौद्धधर्मी अशोक के अंतिम वंशधर
बृहद्रथ मौर्य को सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने भोंकी कटार
बौद्ध धर्म के भिक्षुओं का किया सामूहिक नर संहार
पुष्यमित्र शुंग था ब्राह्मण, वैदिक धर्म का किया प्रचार
संस्कृत भाषा को राज्याश्रय, अपभ्रंश पाली प्राकृत को त्यागकर
मैं बिहार बौद्ध जैन धर्म क्षय व शैव शाक्त वैष्णव धर्म उभार हूँ!
पाण्डव प्रपौत्र जनमेजय के बाद से यज्ञ पशु बलिप्रथा
जो बुद्ध और अशोक ने बंद करायी, पुष्यमित्र शुंग से
आरंभ हो गई अश्वमेध यज्ञप्रथा वैदिक धर्म व्यवस्था
पुष्यमित्र शुंग के अश्वमेध यज्ञ में पतंजलि ऋत्विज पुरोहित थे
मैं बिहार बौद्ध धर्म का पतन वैदिक धर्म का देखा पुनरुद्धार हूँ!
शुंगकाल का ब्राह्मणी दौर एक सौ छियासी ईसा पूर्व से
पचहत्तर ईसा पूर्व तक चला था उसी काल में पतंजलि ने
महाभाष्य लिखी थी पाणिनि की अष्टअध्यायी पर,
कालिदास ने पुष्यमित्र पुत्र अग्निमित्र व मालविका पर
मालविकाग्निमित्रम की रचना की, वर्तमान मनुस्मृति
महाभारत पुराण शुंग कण्व काल के बाद की संपादित कृति
मैं प्रत्यक्षदर्शी परशुराम के अवतार पुष्यमित्र शुंग का बिहार हूँ!
यही पटना खगोल के तारेगना गाँव में
विश्व के प्रथम खगोलविद आर्यभट्ट हुए
जो अरबी हिन्दी अंक प्रणाली के जनक थे
उन्होंने सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण कारण बताए थे
पृथ्वी की परिधि, पृथ्वी का सूर्य की परिक्रमा,
घूर्णन की अवधि, ’पाई’ का मान पता किए थे
बाणभट्ट और नागार्जुन भी मगध में हुए थे
मैं बिहार नालंदा उदंतपुरी विक्रमशिला खंडहर बौद्ध महाविहार हूँ!
मेरी धरती वैशाली से विश्व को प्रथम गणतंत्र मिला था
पाटलिपुत्र के गुप्तों ने भारत में स्वर्ण युग लाया था
चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का दरबारी कालिदास वराहमिहिर यहीं का
गुप्त थे शक हूण कुषाणों को मगध से खदेड़ने वाला
मैं बिहार चन्द्रगुप्त॥, कुमारगुप्त, भानुगुप्त की नंगी तलवार हूँ!
गुप्तोत्तर काल में मगध में मौखरी, हर्षवर्धन,
पाल शासकों ने कुछ काल मगध को रखा सँभाल
कुमारगुप्त स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय को
हर्षवर्धन व पाल शासकों ने राज्याश्रय दे की देखभाल
गोपाल ने उदंतपुरी और उनके पुत्र धर्मपाल ने
विक्रमशिला विश्वविद्यालय को स्थापित किया था
गोपाल की राजधानी उदंतपुरी संप्रति बिहारशरीफ थी
पाल शासकों ने बौद्धधर्म ज्ञान विद्या को किए संरक्षित
मैं बिहार बख्तियार के विद्याविहार दहन से हो गया लाचार हूँ!
मैं बाबू कुंवर सिंह अठारह सौ सतावन की जवांदानी,
मैं स्वतंत्रता सेनानी तिलका, विरसा की अमर कहानी
मैं स्वतंत्रता के बाद जयप्रकाश के संपूर्ण क्रांति की भूमि
मैं बिहार दिनकर का रश्मिरथी (कर्ण) कुरुक्षेत्र की हुंकार हूँ
मैं बिहार प्राचीन भारत के गौरव गरिमा का आधार हूँ!
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