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दुनिया-भर के बच्चे, माँ और भाषाएँ

एक जैसे होते दुनिया भर के बच्चे! 
एक ही बाल-सुलभ हँसी-रुदन-कौतुक
बच्चे चाहे हों अमेरिकी/अफ़गानी/
तालिबानी/ब्रितानी/ईरानी/पाकिस्तानी
भारतीय सप्तद्वीप-नौखण्ड में कहीं के
एक जैसे होते दुनिया भर के बच्चे! 
 
दुनिया भर के बच्चों के, माँ की कोख से 
निकलते ही के हूँ—के हूँ–कहाँ—कहाँ? के
पहले सवाल में ही छिपी होती 
विश्वभर की तमाम मानवीय भाषाएँ! 
 
जिसे समझ लेती विश्वभर की माँएँ
दूध उतर आए छाती से सटाकर 
बता देतीं सारी माताएँ कि तुम मेरे 
कलेजे के टुकड़े, मेरे कलेजे के पास हो! 
 
और एक जैसे आश्वस्त हो जाते 
दुनिया-भर के बच्चे सृष्टि के आरम्भ से 
अम्–मम्–अम्म—मम्म बोलकर
पुकारते रहे हैं सभी बच्चे
और सुनती-समझती रहीं हैं सारी माँएँ
समय-दूरी-स्थान से परे
विश्व की पहली अविकल भाषा को! 
 
चाहे कौशल्या हो सोरी घर में, 
या देवकी हो कंस की कारागार में, 
चाहे यशोदा हो पनघट में, 
या मरियम हो अस्तबल में, 
पुकार तो सुन ही लेती हैं सारी माँएँ
अपने नन्हे लल्ले/नटवर नागर की! 
 
दुनिया-भर के बच्चे और माँओं ने साबित कर दिया 
कि मानवीय समझ के लिए बाधक होती नहीं भाषाएँ! 
 
फिर क्यों नहीं दुनिया बच्चों के 
'दा-दा, ना-ना' के देय/निषेध को समझती? 
 
क्यों थमा देते बच्चों को खिलौने के बदले बंदूक? 
पुस्तक के बदले पूर्वाग्रह की पोटली? 
रोटी के बदले भीख की कटोरी? 
 
क्यों मिला देते जन्म घूँटी में मानवीय प्रेम के बजाय 
जातिवादी घृणा-नस्ल-वर्गवाद फ़िरकापरस्ती का ज़हर? 
तथाकथित संस्कृति-अस्मिता-भाषा के नाम पर! 
 
क्यों काट देते बच्चों को एक दूसरे 
धर्म-सम्प्रदाय के प्राकृतिक सहज दाय से? 
 
क्यों छीना जाता बच्चों से निश्छल बचपन/
क़ुदरती एकता/प्रेम की नैसर्गिक भाषा? 
 
दुनिया की कौन सी भाषा संस्कृति
श्रद्धा-हव्वा, कौशल्या, देवकी, 
यशोदा, मरियम को माँ नहीं मानती? 
 
फिर क्यों दुनिया-भर के बच्चों को 
उनकी एकमेव भाषा अम्-मम्, अम्मी-मम्मी, 
माँ-मदर के अलग-अलग अर्थ बताए जाते? 
 
कौन सी धर्म-संस्कृति ख़ास अपनी विरासती 
और कौन सी है विधर्मी-काफ़िरों की? 
 
भला बताएँ तो विश्वग्राम के पहरुए; 
सम्प्रति हिन्दू-मुस्लिम-ईसाई अपने गिरेबान में 
झाँककर बताएँ कि उनके पूर्वज पीढ़ी के लोग
क्या वही धर्मालम्बी थे जो वे आज हैं? 
 
फिर किन विचार-संस्कार को बचाने के जद्दोजेहद में 
अपने ही बच्चों से छीन लेते बचपन-भाषा-अपनापा 
थमाकर कृत्रिम वेशभूषा, दक़ियानूसी सोच-विचार-हथियार, 
काल कवलित हो चुके ईश-देवदूत मसीहा के नाम पर! 

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