अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

पिता

पिता! पिता! पिता! 
जब पास नहीं होता 
तब अहसास होता
धाता-विधाता से बड़ा 
अगर कोई होता
वह पिता ही होता! 
 
वह पिता ही होता! 
जहाँ भगवान नहीं
वहाँ भी पिता होता
पिता हो जहाँ में या
आसमानी हो गए हों 
पिता का ही चेहरा
हमेशा ध्यान में होता! 
 
चाहे सूर्य डूबा हो, चाँद ना उगे
पिता का ही मुख 
विहँसता सुनसान में होता! 
 
जब जेब हो ख़ाली
मुँह में ना हो निवाला
तब पिता की याद ही 
देती है हमें दिलासा! 
 
पिता ही पता है/ठौर व ठिकाना है! 
पिता नहीं तो हर शहर अनजाना है! 
पिता नहीं तो हर रिश्ता बेगाना है! 
 
पिता नहीं तो ना गीत ना गाना है! 
पिता नहीं तो किस पर इतराना है! 
पिता नहीं तो किस पर खिजाना है! 
 
पिता नहीं तो किसको सुनाना है! 
पिता नहीं तो किसको रुलाना है! 
पिता नहीं तो किससे तुतलाना है! 
 
पिता नहीं तो सब अफ़साना है! 
पिता सब ख़ुशियों का ख़ज़ाना है! 
पिता नहीं तो टुअर कहलाना है! 
पिता नहीं तो अनाथ हो जाना है! 

टुअर= पुत्र को कहा जाता है जिसके पिता की मृत्यु हो गई हो ( शब्द बिहार झारखंड में बहुत प्रचलित है)

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता

नज़्म

ऐतिहासिक

हास्य-व्यंग्य कविता

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं