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आदमी अगर दुःखी है तो स्वविचार व मन से

 

भारत में जातिवाद का ज़हर भरा है, 
धार्मिक पाखण्ड व मज़हबी भाईचारा बहुत गहरा है
अपनी जाति, अपने धर्म मज़हब का दुष्ट 
दुराचारी अत्याचारी गुंडे और माफ़िया भी अति प्यारा है, 
मगर ये भी सोलहों आने है सही 
कि जाति बिरादरी से ज़्यादा बुरा पराया होता है नहीं! 
 
पराया अपरिचित हो या सुपरिचित हो
पराया आपसे निरपेक्ष या आपका सापेक्ष होता है, 
पराए में परायापन है, तो विरोधी भावना भी कम है, 
पराए को अपना बना लीजिए तो पराए में अपनापन है! 
 
स्वजाति के नाम पर आमतौर पर 
आदमी को बेईमान और बदनाम होते हुए देखा जाता
मगर स्वजाति गोत्रज भाई से बढ़कर
दूसरे समाज का पराया हानिकारक होता कदापि नहीं! 
 
स्वजाति रिश्तेदार सत्कर्म सत्संग के लिए कभी आते नहीं, 
स्वजाति रिश्तेदार अवांछित लाभ के लिए आते अक्सर ही, 
जाति बिरादरी के लोग आपकी ईमानदारी को घृणा से देखते, 
जबकि पराए समाज के लोग आपकी नेकनीयती में ख़ुदाई पाते! 
 
जर ज़मीन जायदाद का विवाद अधिकतर
सगे सम्बन्धी काका भतीजा भाई गोतिया से ही होता, 
किसी की सफलता और उपलब्धि पर
सर्वाधिक शिकायती लहज़ा स्वजाति बंधु का ही होता! 
 
आदमी को है अगर दुःख, सुख, कष्ट या कमी 
तो उसका ज़िम्मेदार आदमी होता है स्वयं ही, 
आदमी व्यवहार से प्यार पाता या मार खाता, 
मगर आदमी सदा दूसरे को ज़िम्मेवार ठहराता! 
 
आदमी हमेशा दूसरों में निकालता नुक्ताचीनी, 
आदमी हमेशा करता अपने मन की मनमानी, 
आदमी अक्सर अपनी वजह से परेशान रहता, 
आदमी अपनी ख़ामियाँ कभी परख नहीं पाता! 
 
आदमी को अगर दुःख है, दुःख का कारण वे ही, 
आदमी के दुःख की दवा ख़ुद के सिवा कहीं नहीं, 
आदमी किसी वाद में घिरे तो तर्क विचार से डरे, 
आदमी चाहे मुक्ति तो वाद से बँधना ठीक नहीं! 
 
आदमी के मर्ज़ की दवा राम शलाका प्रश्नावली नहीं, 
आदमी के दुःख का इलाज पुराण क़ुरान एंजिल नहीं, 
आदमी बुद्ध महावीर गुरु ज्ञान अद्यतन किए बिना 
आदमी सिर्फ़ वेद बाइबिल क़ुरान में निदान पाते नहीं! 
 
आदमी अपने ईश धर्मग्रंथ की झूठी बढ़ाई करते, 
आदमी के पूजा नमाज़ में ईश्वर ख़ुदा नहीं होते, 
आदमी विधर्मियों को नाख़ुश करने में लगे रहते, 
आदमी पूजा नमाज़ से नफ़रत का माहौल बनाते! 
 
आदमी अगर दुःखी है तो स्वविचार व मन से, 
आदमी अगर छले जाते तो स्वजाति स्वजन से, 
आदमी भ्रष्ट होते स्वजाति विरादरी की वजह से, 
आदमी अगर धोखाधड़ी करते तो ख़ुद के रब से!

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