अक़्सर पिता पति पुत्र समझते नहीं नारी की भाषा
काव्य साहित्य | कविता विनय कुमार ’विनायक’1 Jul 2023 (अंक: 232, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
माता व पिता में बहुत अधिक जैविक अंतर होता,
‘एक्स’ मातृगुणसूत्र और ‘वाई’ पितृगुणसूत्र कहलाता
पिता पुरुष का सृजन दो विजातीय गुणधर्म युक्त
पिता ‘एक्स’ ‘वाई’ गुण सूत्रों के युग्मनज से होता!
माँ नारी का जन्म दो सजातीय एक्स गुणसूत्रों से
माता का संतुलित होना जैविक गुण स्वभाव होता,
पिता दो विपरीत गुणधर्म से अभिव्यक्ति को पाता,
पिता विजातीय पौरुष गुणसूत्र से असंतुलित रहता!
माँ-बहन-बेटी सम गुणसूत्रों के कारण संतुलित होती,
पुरुषों की भाषा अभिव्यक्ति में एकरूपता नहीं होती,
पुरुष पिता-पुत्र-पति होते अधीर अस्थिर स्वभाव का,
नारी माँ-बहन-बेटी भाव विचार से सुलझी हुई होती!
कोई पिता जितनी आसानी से पुत्र को समझ लेता,
उतनी आसानी से अपनी पुत्री को नहीं समझ पाता,
पिता पुत्र को अपना पैतृक गुणसूत्र विरासत में देता,
जबकि माता व पिता पुत्री में अपना मातृगुण बोता!
वैज्ञानिक तथ्य है कि नर में पितृगुण वाई विकसित
अहंभाव से पुष्ट निष्करुण हिंसक अकाशोन्मुख होते,
मातृगुण अत्यंत ड्वार्फ यानी बौना होकर छिपे रहते,
मोह ममता दया करुणा भाव मातृ गुणसूत्र से आते!
हर पुरुष में मातृगुणसूत्र अल्प विकसित सुप्त होता,
जो मातृभाव पुत्री में जाकर पूर्ण विकसित हो जाता,
एक पुत्री माता-पिता से दादी नानी जैसी बातें करती,
अक़्सर पिता पुत्री को आसानी से समझ नहीं पाता!
हर नर के अंदर एक नारी होती ये वैज्ञानिक सत्य,
ईश्वर अर्धनारीश्वर होता यही है आध्यात्मिक तथ्य,
पुरुषों में पाशविकता आती पौरुष में वृद्धि होने से,
नर में देवत्व आता मातृगुण विकासित हो पाने से!
बुद्ध जिन ने ‘मार’ को भगा पशुता पर विजय पाई,
बुद्ध जिन ने करुणा, अहिंसा मातृ भावना अपनाई,
नर स्वभाव से हिटलर मुसोलिनी ओसामा बन जाते,
नर अभ्यास से बुद्ध महावीर ईसा मसीह बन पाते!
पुत्र का स्वर पिता को निजी विरासती स्वर लगता,
बेटी की भाषा को समझने में भूल कर जाता पिता,
बेटी को समझना है तो अपनी माँ को समझ पहले,
बहन को समझना हो तो नानी दादी को समझ ले!
अक़्सर पिता अपनी पुत्री की बातों से क्रोधित होता,
पुत्री की बातें अक़्सर दूर से आती हुई प्रतीत होती,
पुत्री की भाषा एक दो पीढ़ी ऊपर से चलकर आती,
अक़्सर पिता-पति-पुत्र समझते नहीं नारी की भाषा!
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