पूजा पद्धति के अनुसार मनुज-मनुज में भेद नहीं करना
काव्य साहित्य | कविता विनय कुमार ’विनायक’15 Mar 2024 (अंक: 249, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
पूजा पद्धति के अनुसार मनुज-मनुज में भेद नहीं करना,
मानव मात्र का एक समान जन्म लेना जीना और मरना!
सृष्टिकर्ता ने तनिक भेदभाव नहीं किया हमारे सृजन में,
किसी ब्रह्मा ने पैदा किया नहीं ब्राह्मण को उपनयन में!
ख़ुदा बाप ने ख़ुद किया नहीं किसी ईसाई का बपतिस्मा,
अल्लाह ने किसी मुस्लिम का किया नहीं सुन्नत खतना!
वसुधैव कुटुम्बकम है वसुधा भर का समस्त मनुज जात,
कोई नहीं दनुज दानव कोई नहीं ब्राह्मण आर्य अभिजात!
सबका जन्म मरण एक समान है सभी पंचतत्व के कारण,
सबने एक समान किए जीवन धारण सब प्रकृति के शरण!
मनुज ने मनुज को बाँटकर हिन्दू मुस्लिम औ’ ईसाई किया,
मगर बोलो किस रब ने मानव में अलग देह अंगड़ाई दिया!
किसी वाद को मानकर मानव-मानव में लकीर मत खींचो,
किसी वाद-विचार को निर्विवाद मानकर तक़दीर मत बाँचो!
जितना जगत में भाव विचार वेशभूषा है सब मानव निर्मित,
अतीत के अंधविश्वास व लिबास में मत होना लिप्त भ्रमित!
अंदर को झाँको अंदर सबका एक सा मन दिल और धड़कन,
अंदर में कुछ भेद नहीं सबका एक लक्ष्य सुखद जीवन यापन!
सबके हृदय में प्रेम भाव शाश्वत है, काम क्रोध लोभ तत्क्षण,
मन को निर्मल करले मानव, ईश्वर रब है मानव का अंतर्मन!
ईश्वर अल्लाह ख़ुदा रब भगवान प्रभु गॉड सभी भाषाई उपज,
ज्यों-ज्यों भाषा बदलेगी, बदलेगा ईश्वर का नाम रूप सजधज!
बुद्ध के पूर्व बौद्ध मत नहीं था, जिन के पहले जैन नहीं था,
ईसापूर्व ईसाई नहीं था, मुहम्मद के पूर्व मुहम्मदी दीन नहीं था!
ये धर्म मत मज़हब रब के आवाजाही का सिलसिला बना रहेगा,
जो आज है कल ना होगा, सर्वधर्म का सार सनातन बचा रहेगा!
किसी धर्म मज़हब में जकड़ कर मत करो पूर्वाग्रहों का पालन,
पूर्वाग्रह दुराग्रह अनबन से होगा मानव सृष्टि जगत का पतन!
जितने भी अवतार तीर्थंकर पैग़म्बर सद्गुरु आए धराधाम पर,
मानव को मानव बनाने के लिए, सभी लगे रहे इस काम पर!
मानव नहीं है हिन्दू-मुस्लिम-ईसाई, मानव है मानव का भाई,
भाई-भाई में अपनापन हो भाई-भाई मिल करे भाई की भलाई!
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