जातियों के बीच जातिवाद हिन्दुओं को कर रहा बर्बाद
काव्य साहित्य | कविता विनय कुमार ’विनायक’15 Mar 2025 (अंक: 273, द्वितीय, 2025 में प्रकाशित)
जातियों के बीच जातिवाद हिन्दुओं को कर रहा बर्बाद
यद्यपि हिन्दुओं में सत्य अहिंसा दया धर्म सहिष्णुता
हिन्दुओं के सनातनी मत पंथ में भी है आपसी एकता
हिन्दू न किसी को सताता न सताएगा मगर एक ख़ता
हिन्दुओं के बीच वर्ण जाति
वर्ण जाति के बीच उपजाति, उपजातियों में भी एकता नहीं
मगर हिन्दुओं को जातियों में बँटना और बाँटना ठीक नहीं,
ठीक नहीं हिन्दुओं के बीच जाति, जाति के बीच उपजाति!
ब्राह्मण तो ब्राह्मण, क्षत्रिय तो क्षत्रिय, वैश्य तो वैश्य
दलित और अंत्यज के बीच भी जातियों में नहीं मतैक्य
हरिजन नेतागण जय भीम जय मीम का नारा लगाता
पर वोट लेने देने तक सारे दलित मुस्लिम प्यारा लगता!
मगर एक दलित जाति
दूसरे दलित जाति को आज भी नहीं भाती
कोई जाटव रविदास, कोई दुसाध पासवान
दोनों की स्थिति आज भी नहीं एक समान
आज एक दूजे में शादी नहीं होती सरेआम
डोम धोबी पासी आपस में नहीं हँसी ख़ुशी!
जय भीम कहने वाला सुपच किरात मेहतर
कहते हैं भंगी मोची चमार से ख़ुद को बेहतर
आज दलितों में ख़ूब चल रहा अंबेडकर-अंबेडकर
मगर एक नहीं हो रहा हेला मूसहर महार राजभर!
हिन्दुओं में ये जातिगत टूट फूट
बहुत कष्टदायक मनहूस स्थिति
हिन्दुओं के बीच जाति उपजाति
राजपूत-राजपूत, वणिक-वणिक के मध्य भी होती!
कायस्थ में भी कोई है करण कोई राढ़ी कोई चंद्रसेनी
कोई अंबष्ट कोई श्रीवास्तव कोई सिन्दुरिया वणिक सेनी
आपस में मेल मिलाप नहीं मगर पूजते क़लम दवात सभी!
कोई राजपूत कहते ख़ुद को क्षत्रिय कुल के
वे शादी विवाह करते नहीं एक दूसरे में भूल से
शक हूण कुषाण पहलव गुर्जर राजपूत विदेशी मूल से!
एक बनिया जो बेचते नमक तेल अनाज तंबाकू धनिया
उनका मेल नहीं दूध दही घी मिठाई दवा दारू बेचनेवाले
अहीर गोप जाट कलाल कलवार सूरी सुढ़ी सोढ़ी खत्री से!
हिन्दुओं में जाति
मृतक को कंधा देने के वक़्त में भी दिख जाती
कहने को हिन्दू आस्था ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ की
पर श्मशान तक कंधा देने नहीं जाते हिन्दू विजाति!
हिन्दुओं में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की बातें बहुत होती
मगर सभी ब्राह्मणों के बीच भावना होती ऊँच-नीच की
ब्राह्मण की एक उपजाति दूसरे उपजाति से शादी नहीं करती
तो ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र वनवासी कैसे होंगे कुटुम्ब हितैषी
वैदिक काल में नहीं थी ऐसी स्थिति चारों वर्ण थे रक्त संबंधी
दासी श्वपाकी मल्लाह अप्सरा कृषक राजा पुत्री हुई ऋषि पत्नी!
अगर हिन्दुओं के बीच आपसी एकता नहीं होगी
तो हिन्दू बना रहेगा रोगी कोई काम ना देगा वैध वैदगी
आज अलग-अलग नस्ल के लोग बन रहे एक मज़हबी
हिन्दू बौद्ध जैन सिख एक वंश गोत्र के क्यों बने अजनबी?
अरे हिन्दू पहले उपजाति बंधन तोड़ो फिर समान जाति को जोड़ो
छोटी बड़ी जाति की कल्पना छोड़ो और घृणा द्वेष से मुख मोड़ो
ढेना मुर्मू को भाई समझो अन्यथा जार्ज ढेनाई बनाने तैयार खड़ा
कल्लू दास को दुख ना दो अन्यथा कलिमुद्दीन हो कहेगा दुखड़ा!
हिन्दुओं में सारी बुराई वर्णभेद व जातिवाद की वजह से ही आई
स्वजाति में बहुत तिलक दहेज़, योग्य वर वधू न मिलने का खेद
जाति के गुंडे को मतदान, झूठा गुणगान, समय पर आए ना काम
जातिभेद से हिन्दू बौद्ध जैन सिख बने और बने ईसाई मुसलमान
संप्रभु राष्ट्र की रक्षा में जातिवाद मिटा चलाएँ घर वापसी अभियान!
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