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अरब का ख़लीफ़ा शासन

 

जीते जी हजरत मुहम्मद पैग़म्बर थे—
क़ानून निर्माता, न्यायकर्ता, सेनापति, 
ईश्वर के प्रतिनिधि एक बहुआयामी हस्ती! 
 
उन्होंने मदीना को सत्ता का केन्द्र बना 
वर्ग और वंशवाद का भेद मिटा संगठित की
अरब देश की जीर्ण शीर्ण क़बिलायी बस्ती! 
 
धार्मिक आदर्शवाद और शरीयत पर आधृत
उनके ईश्वरीय गणराज्य का ख़ुदा बादशाह 
जिनका वे सुन्ना यानी ईश्वर का प्रतिनिधि 
वर्ग विशेषाधिकार विहीन वंशवाद का विरोधी 
सुन्ना हुए ईश्वर के प्रतिनिधि रूप में सत्तासीन
जो राज्य उतराधिकार प्रथा के प्रति थे उदासीन! 
 
ईसवी सन् छह सौ बत्तीस में उनकी मौत के बाद
सर्वसम्मति से अबू बकर बना अरब का ख़लीफ़ा
ईश्वर या अरबी अल्लाह के प्रतिनिधि का प्रतिनिधि
तब से अरब में चली ख़िलाफ़त की यह नयी विधि! 
 
फिर छह सौ चौंतीस से छह सौ चवालीस ईसवी तक
दस साल तक उमर हुआ ख़लीफ़ा के रूप में बहाल! 
 
फिर छह सौ चवालीस से छह सौ छप्पन ईसवी तक 
बारह वर्ष उस्मान की ख़लीफ़ा रूप में बनी रही शान! 
 
छह सौ छप्पन से छह सौ बासठ ईसवी तक छह साल
अली बना ख़लीफ़ा, जिसकी राजधानी मदीना नहीं थी
बल्कि बेबीलोन के निकट स्थित एक शहर था कूफा! 
 
शरा के अनुसार ख़लीफ़ा का शाब्दिक अर्थ होता 
‘प्रतिनिधि ख़ुदा का’ पर व्यवहार में यह उपाधि थी 
उनकी जो ‘प्रतिनिधि यानी उतराधिकारी थे पैग़म्बर का’
इस्लाम नहीं मानता वंशवादी पादशाहत की राज संस्था, 
जहाँ ख़ुदा पर एकमात्र आस्था, जहाँ ख़ुदा ही एकमात्र बादशाह
वहाँ ख़लीफ़ा से मनोनीत व्यक्ति चलाता इस्लामी राज व्यवस्था। 
 
ऐसे ही चल निकली ख़िलाफ़त 
जिसने पहली बार झेली आफ़त
जब अरब का ख़लीफ़ा था उस्मान
पक्षपाती व विरोधी भावयुक्त हुए मुसलमान
छह सौ बासठ ई. में मुबयिआ ने विद्रोह किया 
ख़लीफ़ा अली को जान से मार 
उनके पुत्र हसन को करके दरकिनार
उमय्या ख़िलाफ़त की नींव कर दी तैयार! 
 
मुबयिआ ने ही ख़िलाफ़त को पादशाहत में बदली 
और उतराधिकार की प्रथा चला दी
तब तथाकथित ईश्वरीय राज्य लौकिक राज्य में ढला! 
  
मुबयिआ बन गया मलिक 
यानी इतिहास का प्रथम शासक
वंशवादी राज सत्ता का संस्थापक 
सौंपा पुत्र याजिद को उतराधिकार
चला वंश उमय्या का पाकर सत्ताधिकार
(छह सौ बासठ ई. से सात सौ अड़तालीस ई. तक) 
  
उमय्या के अति केन्द्रित शासन व्यवस्था ने
अफ़ग़ानिस्तान, बिलोचिस्तान मध्य एशिया
एवं भारतीय सिन्ध राज्य तक 
विस्तृत किया मुस्लिम साम्राज्य! 
 
ईसवी सन छह सौ बाईस ईसवी में उद्भूत 
नव इस्लामी राज्य सात सौ अड़तालीस ई. तक 
अरब, ईराक़, सीरिया, फ़ारस तथा 
उत्तरी अफ़्रीका तक जा फैला अति द्रुत! 
 
जब आया आठवीं शती का मध्यकाल 
उठा खोरासान में एक भयानक भूचाल
जिससे उमय्या वंश उजड़ा, अब्बासी वंश सत्ता से जुड़ा! 
 (749 ई. से 890 ई. तक) 
 
अब्बासी थे हजरत मुहम्मद के चाचा अब्बास के वंशधर
जिन्होंने ईरानी शिया मुस्लिम के सहयोग से सियासत की
दमिष्क को छोड़ कर बगदाद में नयी राजधानी बसा ली। 
 
पूरा अब्बासी काल 749 ईसवी से 900 ई. तक 
शान्ति और समृद्धि के लिए रहा सर्वाधिक विख्यात, 
किन्तु इस्लाम में नव दीक्षित तुर्कों ने मचाकर उत्पात
इसी शांत अब्बासी ख़िलाफ़त पर किया था कुठाराघात।

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