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एक अकेला शिव शव होता 

 

एक अकेला शिव शव होता 
मिले भवानी का संग तो शिव रब होता 
शिव शक्ति के संयोग से कुमार सम्भव होता 
विष्णु के साथ लक्ष्मी हो तो धन वैभव होता
एक अकेला देव दानव मानव जीवन असम्भव होता! 
 
एक अकेला शिव काल भैरव होता 
एक अकेला शिव महाकाल अतिरौरव होता 
एक अकेला शिव जीवन का नहीं कलरव होता 
एक अकेला शिव मृत्यु और यम का क्रुद्ध पग होता 
शिव के साथ शिवा ना हो तो शिव क्षुब्ध विदग्ध होता! 
 
एक अकेला शिव मृत्यु दूत होता
एक अकेला शिव श्मशान का भभूत होता 
एक अकेला शिव आसमानी झंझावात होता 
एक अकेला शिव व्योम में ओम निनाद होता 
शिव को मिले शिवा का साथ तो जीवन आबाद होता! 
 
विधि संग ज्ञानदा हो तो सद्विवेक जगता 
ऋद्धि सिद्धि के साथ बुद्धि दाता गणेश होता 
सती जहाँ समाहित हो वहाँ संहारक ही महादेव होता 
दुर्गा काली की कोप सँभाल सके जो वही महेश होता 
नारी के संपर्क से नर ही नारायण देवता विशेष होता! 
 
अगर स्वायंभुव मनु संग शतरूपा नहीं होती
तो बीज को जीव बनाने वाला अंडाणु अरूप होता 
फिर तो अकेला ब्रह्मा भी ब्रह्माण्ड नहीं रच पाता
अगर मनु के साथ ऋद्धा की प्रेम कथा नहीं होती 
तो नहीं कोई प्रजापति होता नहीं ये सारी प्रजा होती! 
 
ऋद्धा के बिना मनु एक निष्क्रिय जीवाणु कृति 
ऋद्धा मनु के प्रजनन से हुए प्रजा और प्रजापति 
नारी पुरुष की नियति, बिन नारी पुरुष की नहीं गति
नारी यदि सुशीला सुविचारी, तो पुरुष होगा संस्कारी 
नारी यदि दुर्बल चित्त चरित्र की पुरुष का जीना लाचारी! 
 
पत्नी यदि कलहप्रिय हो तो पति को क्षति होती
पत्नी यदि स्थिर मति हो तो पति को सम्पत्ति होती 
पत्नी पति की सहयोगी हो तो विपत्ति में राहत मिलती
पति पत्नी की सम्मति हो तो दंपती की ख्याति बढ़ती 
पति पर पत्नी रहती तनी-तनी तो पति रहेगा रुग्ण ही! 
 
नारी पुरुष के लिए है आवश्यक मजबूरी
नारी सृष्टि की धुरी, नारी बिना दुनिया अधूरी 
नारी बिना पुरुष की होती नहीं मनोकामना पूरी
माँ बहन पत्नी पुत्री रूप में नारी पुरुष के लिए ज़रूरी 
नारी अभाव में पुरुष हो जाता आसमानी पाखंडी अघोरी! 
 
नारी अगर स्वार्थी हो तो पुरुष की होती बेइज़्ज़ती 
नारी यदि कर्कशा होती तो पुरुष की बड़ी दुर्दशा होती 
नारी के बिना पुरुष रुक्ष होता नारी से कोमलता आती 
नारी पुरुष संपर्क से मन में हर्ष जीवन में उत्कर्ष वृद्धि
नारी अगर सती साध्वी हो तो पुरुष होता साधु मनस्वी! 

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