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कृष्ण के जीवन में राधा तू आई कहाँ से? 

 

कृष्ण के जीवन में राधा तू आई कहाँ से? 
आत्मा से, देह से या कवि की कल्पना से! 
 
सुदर्शन चक्रधारी को प्रेम पुजारी बनाने को, 
राधा तू आई गोकुल बोलो किसके स्नेह से? 
 
कृष्ण के बचपन में रास रचाने आई कहाँ से? 
भक्ति और आसक्ति की ठाँव बरसाने गाँव से! 
 
बेड़ी बँधी कोख से बेड़ी को तोड़कर आए जो, 
उनको प्रेम हथकड़ी पहनाने तू आई कहाँ से? 
 
कृष्ण के छुटपन में, तुम युवती हो आई कैसे? 
वेद पुराण या जयदेव, विद्यापति के गान से! 
 
राजाओं के आश्रित बंदी भाट, चारण कवियों से, 
भक्ति, शृंगार, पांथिक साम्प्रदायिक ऊहापोह से! 
 
वेद व्यास ने देखा नहीं, भागवत ने बाँचा नहीं, 
जयदेव, विद्यापति के कंठ से निकली हो सुर से! 
 
अनायास ही तू राधा बालकृष्ण की हो गई कैसे? 
ब्याहता तुम किसी की, केली की कृष्ण से कैसे? 
 
संदीपनी आश्रमवासी अरिष्टनेमी के शिष्य को, 
शस्त्र-शास्त्र अनुसंधानी को गँवार बनाया कैसे? 
 
गीता के वाणी को, वेद उपनिषद ब्रह्मज्ञानी को, 
अध्ययनशील प्राणी को, लांछन लगाया तूने कैसे? 
 
उम्र में छोटे थे, योद्धा वो बड़े थे मल्लयुद्ध में, 
चाणूर-मुष्टिक हारे, कंस संहारे बिना गुरु के कैसे? 
 
मातृ कोख पे पहरा था, शिशुहंता कंस के क़हर से
नजात दिलाने जो प्रकट हुए थे काल कोठरी से! 
 
धरती के धर्म को, नारी के मान को दु:शासन से
मुक्ति दिलानेवाले योगी को प्रेमरोगी बनाया कैसे? 
 
तू वृषभानु वैश्य की कन्या, रायाण की ब्याहता हो, 
माँ यशोदा की भाभी कृष्ण की प्रेमिका बनी कैसे? 
 
रुक्मिणी, सत्यभामा सी अष्ट पटरानियों के रहते, 
तू राधा कृष्ण की वामांगी हो गई कब और कैसे? 
 
कृष्ण नहीं रसिया थे, वे मर्यादित धर्म के रक्षक थे, 
सौ गालियाँ सुनी भाई से, बात आई ज्यों चरित्र पे! 
 
चला चक्र सुदर्शन, कट गई थी बुआ पुत्र की गर्दन, 
द्रौपदी सुभद्रा सी बहन थी मान ना हो पाया मर्दन! 
 
नरकासुर की बंदी सोलह हज़ार एक सौ नारियों को, 
सम्मान की ज़िन्दगी दी सुहागदान की माँग मान के! 
 
सोलह हज़ार एक सौ आठ रानियों के बीच हे गोपी, 
बताओ तुम कहा हो एक वैधानिक धर्म पत्नी जैसी? 
 
कृष्ण धर्म मर्म सत्कर्म के मंगलमूर्ति न्यायप्रिय थे, 
मुक्त कराया बंदी राजाओं को नरमेधी जरासंध से!! 
 
मित्र से मित्रता निभाई, शत्रु को नारायणी सेना दी थी, 
विश्वरूप दिखाया, वे सम्मानित वयोवृद्ध पितामह को! 
 
तुम्हें वसुदेव देवकी ने नहीं देखा, सुभद्रा भी अनजानी, 
राधा बोलो योग क्षेम के ईश्वर से कैसे की मनमानी? 
 
कथा कहानी की तुम राधारानी हो जब तुम बारह की
तब कृष्ण सात के तुमसे मिले, उम्र ग्यारह में बिछुड़े! 
 
बचपन की धमाचौकड़ी को रसिकों ने रासलीला कही, 
ना इसमें कोई दोष तेरा है ना कृष्ण कोई छिछोरा है! 
 
दुनिया की रीत है चरित्र हनन की, अपवाह उड़ाने की, 
भक्ति के नाम, अंधभक्ति जगाने की, भ्रम फैलाने की! 
 
कृष्ण के जीवन में ना कोई प्रेयसी परकीया राधा थी 
शृंगारिक कवियों की रसिक कल्पना से राधा निकली! 

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