यह समझना ज़रूरी है...
काव्य साहित्य | कविता डॉ. नवीन दवे मनावत1 Jan 2020 (अंक: 147, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
हाथों की करामात और
अदृश्य विनाश की
लीला निराली है
हाथ देता है एक अमूल्य सहारा
वही हाथ करा देता है बेसहारा
हाथ एक पल में लगा देता है
लाशों का ढेर
वही हाथ समन्वय की बात में
नहीं करता कभी देर
हाथ पति को परमेश्वर बना देता है
और पहुँचा देता है
असीम ऊँचाई पर सुलह की सीढ़ियों से
वही हाथ जब पतन का प्रतीक बन जाता है
तो गिरा देता है
पाताल की तह से भी नीचे तक
नष्ट कर देता है घर के घर
हाथ मज़बूत करता है
बहुत मज़बूत,
तो कमज़ोर भी करना उसकी औक़ात है
हाथ लगा देता है ख़ुशियों का अंबार
वही हाथ कर सकता है
पल भर में दुखों का ढेर
हाथ कभी लिखता है हत्या!
तो कभी जीवन की मधुर कविता
हाथ जीवन का अटूट
वजूद लिख देता है
तो कभी जर्जर पन्नों पर टूटन का रेखाचित्र
हाथ करा देता है मिलन
अदालत की चौखट का
तो वही हाथ बना सकता है
स्नेह की दीवारें
जो हाथ तोड़ देता है रिश्तों की डोर
वही हाथ जोड़ने की परिभाषा जानता है
हाथ सृष्टि का समन्वय है
हाथ जीवन अन्वय है
हाथ ख़ून, नाश, बलात्कार, आतंक है
हाथ जीवन, प्रेम, मर्यादा, ख़ुशी, शांति है
हाथ मानवता है
तो दानवता की जकड़न है
हमें तय करना है कि
हमारे हाथ किस प्रयोजन हेतु हैं
यह समझना ज़रूरी है...
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
लघुकथा
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं