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पुराना अख़बार

मैं कमरे की सफ़ाई कर रहा था। अचानक मेरी पुरानी दराज़ में से एक अख़बार व कुछ दस्तावेज़ दिखे अख़बार लगभग तीस साल पुराना होगा। मैं ज़रूरी दस्तावेज़ को भूल उस अख़बार को निहारने लगा। ख़बर छपी थीं अनेकों पर उन ख़बरों में एक - दो ख़बर विशेष थीं -

"पानी की क़िल्लत से मोहल्ले वासी परेशान" और कोने में छपी थी "पेड़ों की चोरी छिपे कटाई"आवाज़ उठाने वालों के दस बारह फोटो थे। उन फोटों में आज कुछ आवाज़ें समय की मार से दब गईं और एकाध परमात्मा को प्यारे हो गये, कुछेक को राजनीति ने अपनी जकड़ में ले लिया। फिर मैं अख़बार को हाथ में ले गंभीर चिंतन में खो गया। जो समस्या आज है वही तीस साल पहले! 

अख़बार की आवाज़। अख़बार ने अपना कर्तव्य तीस साल पहले भी निभाया था सजगता के साथ और आज भी निभा रहा है।

पर हम कितने जागरूक हैं। क्या हम ही ज़िम्मेदार हैं?

हाँ! बिल्कुल हम ही ज़िम्मेदार हैं उपर्युक्त समस्या के। 

पुराने अख़बार देखो हर समस्या उठी और हमने ही दबायी। लापरवाह हम या अख़बार?

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टिप्पणियाँ

sharvan Bishnoi 2021/12/20 04:45 PM

awesome

Mahipal bishnoi 2019/10/13 10:03 AM

Excellent

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