लक्ष्य
काव्य साहित्य | कविता डॉ. नवीन दवे मनावत1 Mar 2019
रास्ते मुड़ना चाहते हैं
उस गली की तरफ़
जहाँ पर उनका
आशियाना है
पर रोक देता है
वह लक्ष्य
जिससे वह
बिताना चाहते हैं अपना
नि:शेष जीवन
वह लक्ष्य
तम से भरा
उदासियों से घिरा
और बोझिल तो है
परंतु
अन्य कोई पद चिन्ह नहीं
जहाँ छोड़ सके
अपने अतीत के क़दमों को
पर जहाँ तम है
उसके पार्श्व ही
एक रोशनी है
एक शक्ति पुंज है
एक अदम्य साहस है
जो वह चाह रखता है
जीवन
तम-उजालों
उदासियों
से भरा है
पर
शिव है
सुंदर है
एक अलौकिक शक्ति है
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टिप्पणियाँ
Ashok Bishnoi 2019/04/05 06:45 PM
Nice sir
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Mahipal bishnoi 2019/10/13 10:04 AM
A1