अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

नयनों से बात

 

तेरे मेरे सारे शब्द अब पड़ते हैं अधूरे
हम नयनों से बात करें शब्द हों पूरे। 
प्रेम भरे शब्दों को हम कह-कह के ऊबे
नयनों में नयन डाल आज हम डूबे। 
 
साँसों से साँस चले सहेलियों के साथ चले
छेड़ती हैं तुमको मेरे प्यार की ये बोलियाँ। 
थिरकता पवन चले तेरे आँचल को तंग करे
खेलता है तुझसे वह जी भर अठखेलियाँ। 
 
कस्तूरी लुटाये चलें ज़ुल्फ़ें बिखराए चलें
धड़कती हैं मन मेरे घटा मेघ बिजलियाँ। 
उपवन में आज चलें फूलों के साथ चलें
हमें घेरती हैं प्यार भरे भँवरों की टोलियाँ। 
 
बाँहों में डाले बाँह चलें बेसुध आज़ाद चलें
धड़कते हैं दिल, मिले बँधनों से आज़ादियाँ। 
नग़्मे सुनाये चलें झूम-झूम इतराए चलें
कम पड़ती हैं प्यार में सागर सी गहराइयाँ। 
 
नयनों से बात करें सुध बुध बिसरायें चलें
नई लिखते हैं हम प्रेम इतिहास की कहानियाँ। 
शब्दों को दफ़्नाये चलें जिससे लोग नई बात करें
आओ ऐसा काम करें जिसे ज़माना सारा याद करे। 
 
मिसाल अपनी बनाये चलें पुष्प प्रेम के उगाये चलें
जब सदा जिसे याद करें हमें रोज़ नई सौग़ात मिले। 
होंठ सभी बुदबुदाए चलें ऐसी मीठी सुरभित बयार चले
गीतों के बोल उठें छाया प्यार की हम बनाये चलें
 
सभी छंदों के हम बंध खोलें हृदय के सब रंध्र खोलें
सप्तरंग संग घोलें प्रेम तिक्त हम प्राण धोलें। 
प्राणों में हम साँस घोलें जीवन के सब द्वार खोलें
नयनों से बात करें ले मधुवन का उल्लास हिल्लोरें। 
 
विरह नयन छलक पड़े रिक्त हृदय का हम कलश भरें
मिलने को हम आज चले सागर में समाए चलें। 
सरिता बन साथ चलें नयनों से बरसात करें
 
धरती को बनाते चले प्रेम की हम हरियालियाँ। 
‘पीव’ जिसे याद करे, आशाओं के हम बीज बोएँ
बिखराये चलें इतिहास में हम प्रेम कहानियाँ। 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

'जो काल्पनिक कहानी नहीं है' की कथा
|

किंतु यह किसी काल्पनिक कहानी की कथा नहीं…

14 नवंबर बाल दिवस 
|

14 नवंबर आज के दिन। बाल दिवस की स्नेहिल…

16 का अंक
|

16 संस्कार बन्द हो कर रह गये वेद-पुराणों…

16 शृंगार
|

हम मित्रों ने मुफ़्त का ब्यूटी-पार्लर खोलने…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

सांस्कृतिक आलेख

कविता

साहित्यिक आलेख

आत्मकथा

चिन्तन

यात्रा वृत्तांत

हास्य-व्यंग्य कविता

ऐतिहासिक

सामाजिक आलेख

सांस्कृतिक कथा

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं