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हे वीणापाणि आज इतना तो कीजिये

 

हे वीणापाणि आज इतना तो कीजिये
 
तेरी वंदना कर सकूँ मुझे दो क्षण तो दीजिये
दो पुष्प चरणों में धरूँ इंतज़ाम ऐसा कीजिये 
अवशेष नहीं हो वंदना मेरी अर्चना पूरी कीजिये
कभी दो पग चलकर, मैं मंदिर न तेरे आया
दो नयनों की करुण व्यथा, मैं तुझे सुना न पाया
अश्रु भरे इन नयनों की, लाज आज रख लीजिये
 
हे वीणापाणि आज इतना तो कीजिये
 
इस नश्वर काया ने, मुझे ख़ूब भरमाया
यौवन की मादकता ने, ख़ुद से दूर कराया
लेखनी को शस्त्र बना, जनगण को जोड़ता
क़लम की गरिमा रहे, अन्याय का गला मरोड़ता
पीव काल के कपाल पर मैं प्रलयंकर सा डोलता
मेरे चित्त बिराजी शारदे, माँ अभय आज कीजिये
 
हे वीणापाणि आज इतना तो कीजिये। 

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