अरी आत्मा तू जाये कहाँ रे
काव्य साहित्य | कविता आत्माराम यादव ‘पीव’1 Dec 2023 (अंक: 242, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
अरी आत्मा तू आती कहाँ से
अरी आत्मा तू जाती कहाँ है।
पुरुष को वरेगी या स्त्री को
ये परिणीता तू सीखी कहाँ है।
तू कन्या वधू है, या पुरुष वर है
स्तब्ध जगत तुझे, न जान सका है।
क्या महाशून्य से आती है तू,
क्या महाशून्य को जाती है तू।
जब प्राणों में बस जाती है तू
तब कौन सा धर्म निभाती है तू।
पति धर्म से पत्नी बनती है तू
या पत्नी धर्म से पति बन जाती है तू।
ओ आत्मा री, तेरी हुई किससे सगाई
परमात्मा तेरा वर है, तूने भाँवरें उससे रचाई।
‘पीव’ प्राणों को छोड़, आत्मा तू चली जाये
प्राणहीन देह पड़ी, दुनिया पंचतत्व में मिलाये।
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