क्षण को नापने के लिए
काव्य साहित्य | कविता हेमन्त कुमार शर्मा1 Aug 2024 (अंक: 258, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
क्षण को नापने के लिए,
निरंतर दृष्टि रखनी होगी।
आरंभ है,
मध्य भी।
आरंभ और अन्त की दूरी भी।
विस्तार नापने के लिए,
स्नेह वृष्टि रखनी होगी।
भीतर मन स्थिर करके,
क्षण के पार नहीं जाना।
नीरव वन की ध्वनि,
मन की चुप्पी,
चुप स्वयं सृष्टि रखनी होगी।
निज की शून्यता,
उसकी प्राप्ति होने पर।
चेतन की चेतन में,
जड़ की जड़ में आहुति होने पर।
कोष्ठकों की सम कृति रखनी होगी।
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